मन्दाकिनी का गरमागरम मस्त चुदास चोदन 5

सच में मन्दाकिनी की गांड अछि खासी चूड़ी हो गयी थी। बड़ी हो गयी थी। मैं प्रकाश को मान गया। अभी तो दोपहर के 2 ही बजे थे। जबकि मन्दाकिनी का कॉलेज 5 बजे छूटता था। 6 बजे तक मन्दाकिनी घर पहुच जाती थी। 2 से 5 अभी भी 3 घण्टे हम दोनों मन्दाकिनी की बजा सकते थे। फर्स्ट सेशन के बाद मन्दाकिनी का बुरा हाल था। वो चद्दर ओढ़ के लेती थी। हम दोनों से उसकी जमकर ठुकाई की थी।

यार रशीद, इस छिनार को अपनी रखैल बना लेना। मैं भी पेलता रहूँगा साली को। हम दोनों मिलकर इस रांड का खर्च उठाउँगे। और खुद एक नयी और फ्रेश मॉल से शादी कर लेंगे!  प्रकाश बोला।
ठीक है भाई, मैं तैयार हूँ। मैं इस कुतिया को अपनी रखैल बना लूंगा। प्रॉमिस। पर अगर तू इसकी लेगा तो तुझे इसकी लेगा तो तुझे इसका आधा खर्च उठाना होगा  मैने कहा।
ओके प्रॉमिस  प्रकाश बोला।

मैं और प्रकाश अब इसको मिलबाटकर खाएंगे, हमदोनो से फैसला कर लिया। हम दोनों की सिगरेट के कस खीचने लगे। हम पूरी डिब्बी की खीच गए। आज सच में बड़ा मजा आया था। मुझे चुदाई का नशा हो गया था। खासकर मन्दाकिनी की चुदाई था। पुरे लखनऊ की 80 लाख आबादी में अब तो मुझे मन्दाकिनी के सिवा कोई और लौंडिया दिखती ही ना था। बस दिल करता था मन्दाकिनी को चोदता रहूँ… और चोड़वाता रहूँ।

सिगरेट ख़त्म करने के बाद हम दोनों ने बियर पी। बियर की बोत्त्ले हम लोगो से चुदाई के दूसरे राउंड के लिए रख ली। मन्दाकिनी की बुर में पेलेंगे। थोड़ी बिअर मन्दाकिनी के लिए भी बचा ली। हमसे बिअर के बाद विस्की पी। कुछ ही देर में हमे नाश चढ़ गया। 3 घण्टे बाद हम जगे। मन्दाकिनी अब नार्मल हो गयी थी। उसके घर से फोन आया की उसके पापा की फारेस्ट विभाग से अर्जेंट काल आई थी। वो 3 दिन के लिए देहरादून चले गए। मन्दाकिनी ने अपनी मम्मी को बता दिया की वो अपनी एक सहेली के यहाँ आई है और कल सुबह आएगी।

प्रकाश और मेरा लौड़ा एक बार फिर से फन उठाने लगा। इसका मतलब था की हम अपनी रखैल को पूरी रात चोद सकते थे। अल्लाह महरबान था हम पर। एक तो उसने बुर बनायीं। फिर लौड़ा बनाया। फिर मन्दाकिनी जैसी रंडी को मुझसे मिलवाया। मेरी किस्मत बुलंद थी।
मन्दाकिनी को चोद छोड़कर हम दोनों के लौड़े छिल गए थे। सूज गए थे। हमारे लण्ड के धागे जो निचे होता है टूटू गए थे। प्रकाश ने तो चुदाई से मना कर दिया और कहा की रात 11 बजे तक वो मन्दाकिनी रखैल को नहीं रखेगा।

मेरा भी कुछ ऐश हाल था। हमारी रखैल आराम कर रही थी। बन्द मन्दाकिनी की पलके कमल के समान थी। मुझे उसपर बड़ा प्यार आ रहा था। मैं गया उसके पास और मैंने उसकी पलके चूम ली।
ई लव यू बेबी!  मैंने कहा बड़े प्यार से
मुझे मन्दाकिनी से प्यार हो गया था। ये कैसा प्यार था। एक तरफ मैं उसे इस्तेमाल की चीज मानता था, दूसरी तरफ प्यार करता था और इसी से शादी करना चाहता था। अगर मन्दाकिनी मेरी लाइफ में ना होती तो मेरी लाइफ कितनी बोरिंग होती। अब 3 सालों बाद मन्दाकिनी मेरी जरूरत, आदत और मुहब्बत बन चुकी थी। वो मेरी जिंदगी का दूसरा सच थी।

मेरी जिंदगी के पहले सच के मेरे अब्बू, अम्मी, और छोटा भाई था, वहीँ दूसरे सच में सिर्फ और सिर्फ मन्दाकिनी थी। मुझे लगने लगा था की अब मेरी जिंदगी पूरी हो चुकी है। अब मुझे और कोई दूसरी लड़की नही चहहिये थी। मैं मन्दाकिनी के साथ सारी जिंदगी काट सकता था। मैं अपनी दुनिया में खो गया था। मैं मन्दाकिनी को प्यार किये जा रहा था..
मेरी बेगम..मेरी जानशीन….मेरी दिलरुबा….मेरी आशिक़ी..  मेरी मोहतरमा….. कहकर मैं उसे बुलाने लगा। मैं उसकी आँखों ओंठ नाक उसके चेहरे को हर तरफ चूमने लगा।

मन्दाकिनी आराम कर रही थी। वो निढाल होकर पड़ी थी खतीयातोड़ चुदाई के बाद। उसके लिये आराम बेहद जरुरी था। वो इसबात से बेखबर थी की मैं उसे इतना प्यार कर रहा हूँ। हम मुसलमान औरतों की पलंगतोड़ चुदाई करते है। एक तो हम रोज बकरा या भैसा खाते है। गोश के बिना हमारा चलता ही नहीं है। गर्मी छिटक जाती है। ऐसे में गर्मी शांत करने का एक ही तरीका होता है की कहीं चूत मिल जाए।

गोश खाने के बाद तो चुदाई का स्टैमिना बढ़ जाता है। यहीं कारन है की हमलोग अपने चाचा की, मौसी की, मामा की, बुआ की लौंडिया गुप् चुप पटा लेते है और चुपके 2 पेलते रहते है। आखिर हम मजबूर है और रिश्तेदारों की लौंडिया चोदड़कर ही हम अपने बदन को ठंडा रख पाते है।

मन्दाकिनी ने मुझे कितना सुख दिया है आज, मैं सोचने लगा। इसने तो मेरी जिंदगी ही बदल कर रख दी है। अगर इस मॉल को मैंने ना पटाया होता तो मेरा क्या हुआ होता। मैं सोचने लग गया। मैंने फिर से मन्दाकिनी के ओंठ पर फिर गाल पर किस किया। जरा इसकी बुर का हाल तो ले लूँ मैंने सोचा। सफेद चादर को मैंने जरा सा हटाकर देखा। बुर का हलवा बन गया था। फिर गांड देखी। इतनी फट गयी थी की पता ही नही चल रहा था कौन सी बुर है और कौन गांड।

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मैंने चादर ढक दी। और मन्दाकिनी रखैल को डिस्टर्ब नही किया। आराम करने दो इसे।
अचानक से मैं रोने लगा। प्रकाश ने मुझे देखा।
ऐ बीड़ू क्या हुआ तेरे को? सेंटी क्यूँ है भाई?? प्रकाश ने पूछा
कुछ नही यार बस प्यार हो गया इससे! मैं मन्दाकिनी की ओरे इशारा किया। इसे मैं कभी छोड़ ना पाउँगा। मैंने कहा। प्रकाश लण्ड का चोदने खाने वाला आदमी था। वो क्या समझता इन प्यार वाली बातों को। बहन के लौड़े को कभी किसी लड़की से प्यार हुआ ना अल्लाह कसम गांड फट के हाथ में आ जाएगी गाण्डू की।

मन्दाकिनी सोती रही। और मैं प्यार की बाते करता रहा। क्या होता है प्यार। क्यों किसी लड़की को देखकर दिल धड़कने लगता है। जब तक वो ना दिख जाए क्यों अच्छा नहीं लगता। क्यों अपनी मुहब्बत के दीदार के बाद जिंदगी गुलाब की तरह खिल जाती है और महकने लगती है। क्यों अपनी प्यार से मिलने पर सब कुछ धुंधला हो जाता है और उसके सिवा कुछ नही दिखता।

दोस्तों मैं यकीन से कह सकता हूँ की मुझे अब मन्दाकिनी से प्यार हो गया था। आज मैं ये जान गया हूँ। प्रकाश भोसड़ी का व्हिस्की का एक और पेग लगाकर टल हो गया था और मैं भोसड़ी का मन्दाकिनी से प्यार हो गया था। मैंने तो यही सोचकर रखा था की 365 दिन 365 लौंडिया चोदूंगा। खाओ, खुजाओ और बत्ती भझाओ के फॉर्मूले पर चलूँगा। मगर अपन को तो इस मन्दाकिनी से प्यार हो गया।

मुझे अचानक से लगने लगा की मैंने मण्डस्किनी को दूसरों से चुदवाकर गलत किया है। फिर अगले ही पल मुझे मेरा जवाब मिल गया। जब लौंडियाँ मेरा मतलब किसी लड़की अपनी ही इक्षा से दे दना दन चुद रही हो तो इसमें अपुन का क्या फाल्ट है। खैर इन सब बातों की अब कोई वैल्यू ना थी। क्योंकि मेरी प्यारी कुतिया मुझसे, प्रकाश से और प्रोफेसर से अच्छी तरह चुद चुकी थी।

जो लौंडिया 3 3 लण्ड खा चुकी हो वो अब क्यों किसी से शर्माएगी। वैसे भी जवानी में हर लौंडियाँ ये करती है। भई  चुदाई और चुदास सीखनी हो तो अमेरिका वालों से सीखे। बहनके लवड़े माँ बहन किसी को भी नही  छोड़ते है। 10 10 20 20 साल तक लौंडियों से बिना शादी किये ही उनको पेलते रहते है फिर जब मन आता है छोड़ कर चल देते है।

साम 8 बजे मन्दाकिनी जागी। मैंने उसका हाल चाल पुछा। उसने बताया की अब उसकी बुर ठीक है। दोपहर में जब उसकी डबल पेलाई चल रही थी तब उसका बुरा हाल था। अचानक से मैंने उसे गले लगा लिया। वो हैरान थी।
मन्दाकिनी मैं तुमसे प्यार करने लगा हुँ  मैंने उसको गले लगाये हुए की कहा
क्या तुम भी मुझे चाहती हो?  मैंने बेहद गंभीर होकर पूछा।
अगर तुमसे प्यार ना होता तो मैं यहाँ इस हालत में नही होती  वो मेरी आँखों में आँखे डालकर बोली। मैंने उसकी आँखों को चूम लिया।

मुझसे वादा करो की हमेशा मेरे साथ रहोगी। मुझसे छोड़कर नही जाओगी  मैंने पूछा
राशिद मैं वादा करती हुँ  वो बोली फिर से मेरी आँखों में देखकर
अब ये कन्फर्म हो गया था की हम दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे हैं। तुझे दोपहर में मजा आया? कैसा लगा? कैसा एक्सपीरियंस था? मैंने बड़े कौतुहल से पूछा। मन्दाकिनी शरमाकर दूसरी ओर देखने लगी। अब कोई भी लड़की इतनी बेसरम तो नही होगी की चिल्ला चिल्लाकर कहे की बदल बदल के लण्ड खाने में बड़ा मजा आया। मैंने अपने हाथ मन्दाकिनी के कन्धों पर रख दिए…. अच्छा तो लगा ना? खुश तो हो? तुम्हारी ख़ुशी में ही हमारी ख़ुशी है  मैंने कहा

उसने धिरे से सिर हिला दिया। मुझे बड़ी ख़ुशी थी की प्रकाश के साथ हमारी संयुक्त सुहागरात सफल रही। मुझे ख़ुशी थी मन्दाकिनी ने अपनी जिंदगी में जो पहली बार डबल लण्ड खाया था वो दावत सफल रही। दोपहर का कांड सोच कर मेरे मुँह में पानी आ गया। किस तरह डबल 2 चोदा था हमलोगों ने साली को। कोई और होती तो भाग खड़ी होती।

मुझे अपनी लाइफ अब साफ 2 दिखाई दे रही थी। मन्दाकिनी को मैं प्रकाश का साथ खाऊंगा। मेरी तरह मन्दाकिनी भी ठरकी टाइप की थी, इसलिए मुझे भी कोई पछतावा ना था। दो महा ठरकी लोग जब मिल जाते है तो चुदाई का मजा हजार गुना बढ़ जाता है। मन्दाकिनी को मैं प्रकाश के साथ पहले ही बाट चूका था। इसलिए चुदाई में कोई दिक्कत ना थी। जब मन्दाकिनी खुद अपनी मर्जी से प्रकाश से चुदवाकर मजे लूटना चाहती थी तो मुझे क्यों दिक्कत होगी।

मैं मन्दाकिनी और प्रकाश अब पक्के दोस्त बन चुके थे। हम शौपिंग मॉल में, मार्किट में, सिनेमा कहीं भी जाते थे तो हम दोनों की मन्दाकिनी के बॉडीगार्ड बनके जाते थे। एक बार हम साहू सिनेमा में गोलमाल 3 देखने गए थे, एक लड़की ने मन्दाकिनी को देखकर सिटी मार दी थी। लात और घूंसों से हमने मार मार कर उसका मुँह तोड़ दिया था। फिर हाल में जब हम अंधेरे में थे तो मैं मन्दाकिनी के मम्मे दाबने लगा और प्रकाश उसकी बुर में ऊँगली करने लगा। जब कोई आता था तो हम सांत हो जाते थे। और अँधेरा आते ही फिर शूरू हो जाते थे।

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जो लड़कियां एक से जादा लड़कों से फसी होती है उन्हें देखकर मुझे बड़ा मजा आता था। यही तो असली जिंदगी है। रोज नये नये लंबे 2 मोटे 2 लण्ड खाना। अब ये क्या बात है की एक ही खाना रोज 2 खाओ। मुझे जवानी से भी लो लड़कियाँ पसंद थी जो अल्टर टाइप की हो। मुझे पति परमेश्वर वाली लड़कियां कभी पसंद नही आई। मुझे वो लड़कियां पसंद थी जो एक से जादा लड़कों से चूड़ी हो। वो चूत ही क्या जिसे 2 3 लोगों ने ना खाया हो।

मुझें हमेशा से ही वो लड़कियां पसंद थी जो छिनार और आवारा टाइप की हो। आवारगी में जो मजा और नशा था दोस्तों वो और कहीं नही था। मैं खुद एक आवारा था इसलिए जानता था। ऐसे ही कहीं भी अनजान से चुद जाने में मजा ही दूसरा था। मन्दाकिनी बिलकुल मेरी जैसे ही छिंदरी और ठरकी टाइप की थी। इसलिए हमलोगो की खूब पटती थी। हमारे रिस्ते कल 4 साल पुरे होने वाले थे।

मन्दाकिनी के पापा 3 दिन बाद आने वाले थे इसलिए हम आज पूरी रात उसे चोद सकते थे। प्रकाश होटल से चिकन मटन और सारा खाना ले आया था। हम तीनो ने खूब पेटभरके खाना खाया। क्योंकि दिन में हम भूके ही रह गए थे। मन्दाकिनी के संयुक्त चोदन में खाना खाने का होश ही ना रहा। क्योंकि हम मन्दाकिनी को खा रहे थे। और मन्दाकिनी हम दोनों का डबल लौड़ा खा रही थी।

हमसे छककर खाना खाया। अब मन्दाकिनी के रात्रि चोदन का कार्यक्रम बनानेे लगा। मन्दाकिनी से मेरी अम्मी की बैंगनी कलर की नाइटी पहन ली थी। खुदा कसम वो बिलकुल मॉल लग रही थी। अगर उसे गली के आवारा लड़कों ने नाइटी में देख लिया होता तो कतल हो जाता। मन्दाकिनी को वे उठा ले जाते और कैद करके सालों चोदते हमारी छिनार को। पर किस्मत से ये रंडी हम लोगो से फसी थी।
तू ही बता रशीद इस रण्डी को कैसे चोदा जाए  मैंने बेहद मादक अंदाज में पूछा। मन्दाकिनी को खुल्लम खुल्ला हम दोनों रण्डी कहकर बुला रहे थे। मन्दाकिनी शांत थी और रण्डी कहने पर उसे बुरा नहीं लगा। जिनके पास बुर होती है वो बुरा नही मानते। मैंने जाना। पहले इस छिनार को गरम करते है फिर इसकी चूत का हलवा बनाएँगे। प्रकाश बोला।

चल मादरचोद आ जा! मैंने मन्दाकिनी से कहा। एक बार फिर हम तीनो की गर्मागर्म चुदाई सुरु हुई। मन्दाकिनी बेड पर लेट गयी। हम दोनों उसके मम्मे दबाने लगे उसकी बैगनी नाइटी के ऊपर से।

यार तेरी माँ भी खूब चूड़ी होगी इस नाइटी में?   प्रकाश ने मुझसे पूछा
बहुत..   मैंने जवाब दिया।
फिर  हम दोनों ने सिल्की नाइटी को निचे खिसकाया और एक दूध मैं और दूसरा दूध प्रकाश पिने लगा। हमारी आवारा गिर्लफ्रेंड जिंदगी का लुफ्त उठाने लगी। हम दोनों उसके दूध पिने के लिए मरे जा रहे थे। हमारे सर बारबार आपस में टकरा रहे थे।
भाई प्रकाश चोद ले इस छिनार को। बार 2 ऐसा गर्म ऑफर तुझे नही मिलेगा मैंने कहा। मन्दाकिनी थोडा मुस्का दी।
देख देख कैसी रंडी मुस्का रही है….  मैंने इशारा किया। हम दोनों इतने जोस से दूध पिने लगे की मन्दाकिनी के चुच्चों पर जगह 2 लाल लाल निशान बन गए। हम दोनों हरामी थे। हमे अपनी माँ भी बिस्तर पे मिल जाती तो तब भी हम उसे चोद लेते। हम दोनों ही चोदू टाइप के लौंडे थे।

मन्दाकिनी चुत्तड़ उठा 2 पेट चलाने लगी। उसकी योनि गीली होने लगी। मुझे मस्ती सूझी। मैं अपनी माँ की एक छोटी सोने की बाली ले आया। प्रकाश टांग पकड़ इस मादरचोद की! मैंने कहा और एक सेकंड में मन्दाकिनी की बुर की ऊपर वाली फाँक में जिसे भंगाकुर कहते है। मैंने पहन दी। 8 10 बुँदे खून की निकल गयी।

हाय रे मार डाला मादरचोद ने!  मन्दाकिनी चिल्लाई और टंगे पटकने लगी।
मुझे बड़ा प्यार आ गया जब मन्दाकिनी चिल्लाई। मै हस पड़ा। हाय मरजावां गुड़ खाने मेरी छिनार तो माँ बहन की गाली सिख गयी है।
हाँ मादरचोद मार डालूँगा तुझे!! जान से मार दूंगा!!  मैं चिल्लाया। मन्दाकिनी की बुर को उँगलियों ने फैलाके ही मैंने उसके भंगाकुर का छेदन कर दिया था। बड़ी गुलाबी 2 चूत थी दोस्तों। मैंने ऐसा गुलाबी चूत वाली लौंडिया आज तक नही देखि थी।

दोस्तों मैं गारन्टी से कह सकता हूँ की अगर हिंदुस्तान के सभी जवान लड़कों को मन्दाकिनी  जैसी एक एक छिनार मिल जाए तो भोसड़ी के कोई लौंडा काम करने ऑफिस ना जाए। दिनभर महीनेभर बस चुदाई ही चलती रहे। सारा इंडिया रुक जाए। सायद इसी लिए हर लौंडे के पास गर्लफ्रेंड नही होती है। कुछ हमारे जैसे किस्मतवालों के पास ही मॉल होती है। अगर हमारे भरोसे हिंदुस्तान को चोद दिया जाए तो बर्बाद ही हो जाए।

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जहां ने मन्दाकिनी मूतती थी ठीक उसके ऊपर मैंने सोने की बाली पहनाई। दर्द तो उसे खाफी हुआ पर प्रकास ने छिनार के पैर कसके पकड़ रहे थे। मैंने सफलतापूर्वक बाली पहना दी। खून तो कपड़े ने पोछ दिया। रंडी का आज दिन में भी खून निकला था और हम लोगों की कर्तुत ने एक बार फिरसे रण्डी का खून निकाल दिया था। बुर में बाली, ये बड़ा ही नया कांसेप्ट है तो अभी जल्दी निकला है। सजाके लौंडिया चोदने में जो मजा है वो खाली में ठोकने में नही है।

मस्त लग रही है इस छिनार की बुर में ये बाली   प्रकाश बोला
मैं मन्दाकिनी की बुर चाटने लगा। ऐ छिनार ! 2 4 बून्द मूत जरा  मैंने मन्दाकिनी से कहा
मैं हमेशा से ही लड़कियों को मूतते हुए देखना चाहता था। मन्दाकिनी मूतने लगी। मैंने उसकी बुर को उँगलियों से खोल दिया। वो मूतने लगी। मैंने पास से देखा की लौंडियाँ कहाँ से मूतती है। मजा आ गया ये देखकर।

मैं मन्दाकिनी की मस्त गुलाबी बड़ी से बुर को चाटने लगा। मैं छिनार की मूत वाली बुँदे भी चाट गया। मन्दाकिनी की बुर को हम दोनों ने चोद छोड़कर खूब बड़ा कर दिया था। आज मन्दाकिनी के चोदन के लिए हमने बढ़िया रणनीति बनायी है। आज रात हम लोगो से चुदने के बाद ये हरामिन मेरी और प्रकाश की औरत बन जाएगी।

मैं मन्दाकिनी का बुर चूसन करने लग जाता हूँ। वहीँ दूसरी ओर प्रकाश मन्दाकिनी के मुँह में अपना लंबा सा लण्ड पेल देता है। ये कुतिया हमारे सामने नन्गी है…बिलकुल नंगी। इसके बदन पर एक भी कपड़ा नही है। इस छिनार का भरा पूरा बदन हम लोगों के सामने है। प्रकाश ने इस रण्डी की हाथ के बगल के बाल भी बनाये है। पर झांटे नही बनायीं है। इस आवारा को हम दोनों चूत साफ करके बहुत चोद चुके है। आज इसको रांड को झांटो में चोदने का मन था।

प्रकाश बिलकुल नंगा मन्दाकिनी के सर की ओरे खड़ा था। उसने अपने दोनों हाथ अपने सर रख लिए थे। मन्दाकिनी ऊपर मुँह करके उसका लण्ड चूस रही थी। मैंने छिनार की बुर चाटने के बाद अपने बड़े से गधे जैसे लौड़े पर एक दो मर मुठ मरी। जब लौड़े में ताव आ गया तो मैंने लण्ड को एक दो बार मन्दाकिनी की बुर पर ऊपर से निचे तक घिशा और चोदन सुरु किया। मन्दाकिनी को मजा आने लगा। मैं जोर 2 से गहरे धक्के देने लगा। मन्दाकिनी के मम्मे बड़े होने लगे। मैं चुदाई में खो गया।

रफ़्तार बढ़ने के साथ पट पट की आवाज से कमर गूंज उठा। मेरे गोलियां टाइट को गयी थी। मन्दाकिनी मजे से लण्ड खा रही थी। कुछ देर बाद प्रकाश बोला..
अरे भोसड़ी ले मुझे भी चोदने देना की इस छिनार की गुझिया पूरी खुद ही खाएगा? प्रकाश बोला।
मैं हट गया। अब प्रकाश चोदने लगा। इस तरह 2 बजे तक हम दोनों मन्दाकिनी को बजाते रहे। फिर प्रकाश निचे लेता। मन्दाकिनी ऊके लण्ड पर बैठ गयी। और मैंने उसकी गांड में लण्ड पेल दिया। और हम मजे से चुदाई करने लगे। इस समय रंडी को जरा सा भी दर्द नही हुआ। मजे से हम इस आवारा की बुर और गांड मरते रहे। एक साथ डबल लण्ड खाना मन्दाकिनी के लिए गजब का अनुभव था।

उसे लगा की एक ही बार में वो 2 साइकिल चला रही है। मन्दाकिनी ने अपने लम्बो बालों को सम्भलने के लिए जुड़ा बाँध लिया था। और वो प्रकाश पर उछल 2 कर हम दोनों से चुदा रही थी। उसकी बुर और गांड के छेद हर धक्के के साथ बड़े होते जा रहे थे। इस समय 3 बजे थे। मेरी पूरी कॉलोनी सो रही थी। पर हम चुदाई कर रहे थे। मेरी कॉलोनी में 3 हजार लोग है। सायद कुछ कपल चुदाई भी कर रहे हो।

हमारी सोसाइटी का सिक्यूरिटी गार्ड गस्त मार रहा था। वो सिटी बजाता था और सिटी मरता था। हम 3 अपनी चुदाई और अय्यासी में मस्त थे। लखनऊ में कितनी लौंडिया इस वक़्त चुद रही होंगी मैं सोचने लगा। अगर सारी लौंडियों का सर्वे होता तो मेरी कुतिया का नाम भी इसमे आ जाता। सुबह 6 बजे मन्दाकिनी की चुदाई बन्द हुई। सारी रात वो चुदती रही। अगर ये रण्डी किसी आमिर आदमी के घर रातभर के लिए जाती तो 10 20 हजार की गद्दी तो मिल ही गयी होती।

प्रकाश भी बेरोजगार है और मैं भी। मैं अपनी आगे की जिंदगी के बारे में सोचने लगा। अब मेरी पढाई पूरी हो गयी है, इसलिए अब मुझे कोई काम ढूंढना होगा। अगर पैसा नही होंगे तो सब बेकार है।



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