Baba Ji Sex Story : दोस्तों आज मैं आपको एक सच्ची कहानी बताने जा रही हु, मेरा नाम सावित्री है, मैं अभी २८ साल की हु, मैं आज आपको एक कहानी सूना रही हु जो आजतक मैं किसी और को नहीं सुनाई हु, ये कहानी मेरी ज़िंदगी का सबसे बड़ा राज है, और उस राज को आज मैं आपके सामने खोल रही हु, ये कहानी सच्ची है और मेरी ज़िंदगी के बहुत करीब है, तो सोची क्यों ना आप सब के सामने अपनी ये चुदाई की कहानी आपके सामने रखूं और आपको भी मजे दूँ जैसा की मैं बाबा को देती थी.
मैं एक आश्रम में रहती हु, मेरे पति नहीं है, कोई बाल बच्चा भी नहीं हुआ, सास ससुर मुझे घर से निकाल दिए है, मैं कहा जाती दर दर की ठोकरें कहने के बाद मैंने सोचा की क्यों ना प्रभु की सेवा की जाये और प्रभु का मार्ग तो सिर्फ कोई गुरु ही दिखा सकता है, इसलिए मैं एक आश्रम में गई पहले वह मैं सत्संग सुनती थी और फिर वही जो लंगर होता था वही कहती थी और आशरालय में रही जाती थी. और वही सेवा करती थी. ये कहानी आप नॉन वेज स्टोरी पर पढ़ रहे है.
एक दिन सुबह के पांच बजे मैं आश्रम के बाग़ में घूम रही थी, तभी वह पर बाबा आ गए, उन्होंने मुझसे पूछा, क्या नाम है तुम्हारा मैंने सर झुका कर बोली बाबा जी “सावित्री” और फिर पूछे कहा से हो मैंने अपने गाँव का नाम बता दिया, तो वो बोले अच्छा तो तुम वो जिला के हो, मैंने कहा हां जी बाबा जी, तो पूछे कितने साल की हो? तो मैं बता दी की २८ साल की, फिर वो मेरे पति के बारे में पूछे तो मैं बता दी, वो अब इस दुनिया में नहीं हैं, फिर वो मेरे घरवाले के बारे में पूछे मैंने कह दिया वो लोग मुझे घर से निकाल दिए है, बाबा बोले कब से यहाँ पर हो, मैं बोली मैं अठारह दिन से यहीं हु, बाबा जी मेरा कोई नहीं है इस दुनिया में, आपके आश्रम में मुझे बहुत शांति मिलती है, मैं यही सेवा करती हु, और करती रहूंगी.
बाबा अपने एक आदमी को बुलाया, और बोले आज तुम इसका ड्यूटी मेरे शयनयान में लगा दो, वहां से तुम चम्पा को हटा देना, और आज इसके लिए, कपडे ले आओ, और बोले शाम को तुम मुझसे मिलना, और उस आदमीं को बोल दिए की इसको शाम के आठ बजे लेके आ जाना. इतना कह कर चले गए, मैं खुश हो गई, क्यों की यहाँ हजारों लोग है, पर मुझे बाबा के करीब रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, मैं खुश थी. शाम तक मेरे लिए अच्छे कपडे आ गए, मैं अच्छे से तैयार हो गई, क्यों की जो बाबा के शयनयान में ड्यूटी रहती थी, उसको सजाने का काम आश्रम में होता था, शाम को वो सफ़ेद साडी, बाल ऊपर बढ़ा हुआ, जिसपर मोगरा का फूल, गले में मोगरा आ फूल, और ब्लाउज नहीं बल्कि एक सफ़ेद कपडा जो स्तन को ढक कर पीछे पीठ पर गाँठ बंधी होती थी, हलके रंग की लिपस्टिक सभी के होठ पर, मानो की देवदूत की परी लग रही थी मैं, बहुत ही खुश और उत्साहित थी .
शाम को बाबा जी के आदमी मुझे लेके शयनयान इ ले गए, बाबा वह बैठ कर धयान कर रहे थे, एक लाल रंग की बड़ी सी कृषि पर, वह जाकर अपने घुटनो के बल बैठ गई, बाबा जी बोले तो साध्वी, आज से तुम मेरे आसपास रहोगी, आज से तुम मेरी देखभाल करना. मैं बोली ठीक है बाबा जी, जैसी आपकी आज्ञा, बाबा जी का शयनयान बहुत ही बड़ा था, मखमली कालीन बिछी थी, हमारे साथ आठ परी और थी, बाबा सबको परी ही बुलाते थे, बाबा ने भजन लगाया और बैठ गए, उसके बाद भजन की धुन पर सभी परी नाचने लगी, मैं भी नाचने लगी, मैं पहले से कत्थक जानती थी, आज वो डांस मेरे काम आ गया, देखते देखते मैं में रोल में आ गई, धीरे धीरे, ले में आ गई.
उसके बाद क्या बताऊँ दोस्तों शयनयान में आने के पहले हम लोग को एक ग्लास केसर का दूध पिने को दिया गया था, शायद उसमे कुछ नशीला पदार्थ था, क्यों की मन हल्का और मदहोशी छा रही थी, नाचते नाचते मस्त हो गई थी, अब एक भजन ख़तम हुआ फिर, दूसरी लगी, वो भजन के पहले सारी परियां, एक दूसरे का जो स्तन पर कपड़ा बंधा था, वो खोल दी. मेरी चूचियां ऐसे ही ३४ के साइज की थी, गोल गोल, मेरा पेट सपाट, फिगर बहुत ही अचछा था, फिर दूसरे भजन पर नाचने लगी, साडी के ऊपर से चूचियां हिल रही थी, सभी का निप्पल साफ़ साफ़ दिख रहा था, सच पूछिए तो गजब का माहौल था, ऐसा लग रहा था की इंद्राशन की परी हो. उसके बाद, बाबा उठे और हाथ ऊपर किये, अब सब एक दूसरे का साडी खोल दी.
अब सब परियां नंगी थी, फिर एक भजन लगा और परियां नाचने लगी, वो भी बिलकुल नंगी, बाबा जी कभी किसी को बांह में लेते कभी किसी को, चारों और से दरवाजा बंद था, हम सब परियां और बाबा जी ही अंदर थे, बाबा जी बिच में हम लोग गोल चक्कर बना कर, नांच रहे थे, बाबा जी भी थिरक रहे थे, बाबा किसी को कभी बांह में भरते कभी किसी को, फिर वो एक एक की चूचियां दबाने लगे, और चूतड़ को ऐसे पीटते थे जैसे की तबला हो. सभी परियां मंद मंद मुसक रही थी, बाबा जी झूम रहे थे, मेरी चूचियां बहुत टाइट हो गई थी, चूत गीली हो गई थी, बाबा के स्पर्श से, मेरे रोम रोम खिल रहे थे,
मैं भी खूब नाचते नाचते बाबा जी में लिपट रही थी, बाबा मेरे जिस्म से खेलने लगे, और फिर भजन ख़तम हो गया, बाबा मेरे कंधे पर हाथ रख दिए, सभी परियां खड़ी हो गई, बाबा जी बोले अब तुम लोग मधुर बेला पर मिलना जब संसार जग जायेगा. मैं नई थी, मैं बाबा जी को देखने लगी. बाबा जी मेरे कंधे पर हाथ रखे थे, उसके बाद सभी परियां बाबा जी के हाथ चूमती थी, फिर मेरी हाथ चूमती थी, ये कहानी आप नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है, और मुझे कह रही थी, मुबारक हो. आज तुम जन्नत का सैर करोगी, वो बारी बारी से मुबारक हो……. मुबारक हो. मैं वही टुकुर टुकरू सब को देख रही थी, और मेरे सामने से सब चली गई, और बड़ा सा पीतल का दरवाजा, बंद हो गया, और बाबा जी मुझे उठा के लिए और अपने बड़े से मखमली गद्दे पर लिटा दिए.
फिर बाबा जी अपने गर्दन से सारे माला निकाल के बेड के बगल में रख दिए, और फिर मेरी चूचियों को सहलाते हुए, मेरी निप्पल को दांतो से काटने लगे, मैं चिहक रही थी, बहुत ही अच्छा लग रहा था, धीरे धीरे वो ऊपर आये और फिर मेरे होठ को चूसने लगे, फिर वो मेरे बाल को खोल दिए, और मोगरा का फूल को सूंघ कर, मसल दिए, और ऊपर से निचे तक मुझे निहार कर, फिर चूमने लगे, मैं मदहोश थी, बहुत ही अच्छा लग रहा था, मैं मचल रही थी, फिर बाबा जी मुझे उलट दिए, और मेरे पीठ को चूमते हुए, गांड को तबला की तरह बजाने लगे, फिर मेरी गांड में अपनी ऊँगली डाल दी, फिर वो सीधा कर दिए, और मेरे पैर को अलग अलग कर के, चूत में ऊँगली डालने लगे, मेरी चूत काफी टाइट थी, बाबा जी बोले मुझे ऐसी ही चूत का इंतज़ार था, आज मिल गया, तुम बहुत हो हॉट हो, तुम मेनका हो, आज से तुम मेरे बहुत ही करीब रहोगी.
मैंने कहा ये तो मेरा नसीब है बाबा जी, और फिर वो मेरी चूत को चाटने लगे, मैं बाबा जी को कह रही थी, सारी परियां सही बोली जन्नत मुबारक हो. आपने तो मुझे जन्नत में पहुंचा दिया, और फिर अपना लण्ड मेरे चूत पर रख दिए, और वही तकिये के निचे से एक विआग्रा निकाल कर खा लिए, और फिर क्या बताऊँ दोस्तों, वो लगे चोदने, जोर जोर से अपने लण्ड को मेरी चूत में पेलने लगे, मैं ॐ ॐ ॐ आह आह आह आह कर रही थी, मैं भी खूब साथ दे रही थी, गांड उठा उठा के निचे से धक्के देती और बाबा जी ऊपर से, कमरे में फच फच की आवाज आ रही थी, वो मेरी चूचियों को मसल रहे थे, मेरे होठ को चूम रहे थे, और जोर जोर से धक्के दे दे कर वो मुझे चोद रहे थे.
करीब वो मुझे एक घंटे तक चोदा तब तक मैं तीन से चार बार झड़ चुकी थी, पर बाबा जी लास्ट में झड़े. और वो निढाल हो गए, मै काफी थक गई थी, तभी बाबा ने बेल्ल बजाया, एक परी आई और मुझे ले गई, मुझे नहलाई दूध से, इत्र लगाया, मेरे फिर से कपडे चेंज किये, और फिर से बाबा के कमरे में छोड़ दिए, अब मुझे रात भर बाबा का ध्यान रखना था,
इस तरह से अब रोज रात को मैं चुदवाती थी, और बाबा जी मुझे चोदते थे.