हलो दोंस्तों, मैं इक़बाल आपको अपनी कहानी सुना रहा हूँ। ये मेरी पहली कहानी है नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे, जब मेरे भैया राजन की शादी हुई थी तो मैं भी उनके साथ लड़की देखने गया था। मेरी भाभी वहां बड़ा शर्मा रही थी। एक ट्रे में पानी और मिठाईयां लेकर आई थी। मैं अपने पिता, अपने राजन भैया के साथ अपनी होने वाली भाभी को देखने गया था। मेरी भाभी बड़ी की कड़क माल थी। मैं दावे से कह सकता हूँ की भैया का लण्ड तो एक बार में खड़ा ही गया होगा भाभी को देखकर। वहां मेरी मुलाकात भाभी की छोटी बहन सरला से हो गयी।
वो बड़ी खूबसूरत थी और रिश्ते में मेरी भी साली थी। मैंने सोचा वाह क्या खूब है भाभी तो भैया के नाम पर बुक हो गयी है। पर सरला तो अभी कुंवारी है। अभी ये 18 की है और कम से कम 5 साल बाद इसकी पढाई खत्म होगी, तब इसकी कहीं शादी होगी। तब तक मैं इसको चोदू खाऊं। मैंने उसे पटाने में लग गया। मेरे भैया की शादी हो गयी और उन्होंने भाभी की सुहागरात पर पलंग तोड़ चुदाई की। मैंने खिड़की से दोनों की चुदाई रासलीला खूब देखी।
भैया!! मैं आपके लिए चाय लेकर आया हूँ! मैंने दरवाजा खटखटाया।
कोई आवाज नही आयी। मैंने खिड़की से झांककर देखा। भैया भाभी दोनों नँगे थे, एक दूसरे से छिपते बेड पर घोड़े बेच कर सो रहे थे। मैं जान गया कि रात भर चूत फाड़ चुदाई हुई है। मैं चाय लेकर लौट आया। भैया अभी सो रहे है!! मैंने माँ से कहा। रह रहकर मुझे भाभी की मस्त नँगी छातियां ही याद आ रही थी। कितनी मस्त गोल गोल छातियाँ थी। मैं सोचने लगा की सुहागरात में कैसै कैसे भैया ने भाभी को लिया होगा, कैसे कैसे भाभी को टाँग उठाकर चोदा होगा। उनको मजा तो बहुत आया होगा।
फिर मैं सोचने लगा की कैसै भैया ने भाभी की गाण्ड ली होगी। क्या भाभी मस्त कुंवारी होगी। क्या रात को उनकी मस्त गदरायी बुर से खून निकला होगा। भैया ने कैसे कैसै भाभी के मस्त गोल गोल मम्मो को मुँह में भरके पिया होगा। बाप रे! उनको कितना मजा आया होगा। क्या भैया ने भाभी से मुख मैथुन भी करवाया होगा। कैसे भैया ने भाभी का मुँह ,उनके ओंठ चोदे होंगे। क्या भैया ने भाभी की नाभि भी पी होगी। और क्या उनकी मस्त छातियों के बीच अपना लण्ड रखकर उनकी छातियाँ भी चोदी होंगी।
दोंस्तों, ये सब सोचते सोचते मेरा लण्ड खड़ा हो गया और मैंने मुठ मार दी। फिर मैं सोचने लगा की जब मेरी भाभी इतनी गजब की माल है तो उनकी छोटी बहन भी गजब की माल होगी। फिर मैं सरला के रूप के बारे में सोचने लगा। दोंस्तों, कुछ महीने बाद सरला मेरे घर आई और 5 दिनों तक रही। पर मैं उसको चोद नही पाया। जान पहचान बनाते बनाते ही 5 दिन निकल गए। जब तक मैं कुछ कर पाता वो वापिस चली गयी। मैंने उसका फोन नॉ ले लिया और सरला से फोन पर बात करने लगा।
मेरी भाभी का घर बदायूं में पड़ता है। और मेरा लखनऊ में। इसलिये दोंस्तों बड़ी दुरी होने का कारण मैं सरला तो चोद तो नही पाया। पर दोंस्तों, मैं अब उससे हर तरह की बाते करने लगा। उसे भी खूब मजा आने लगा। मैं भी खूब उससे गन्दी गन्दी कामुकता वाली बातें करने लगा। उसे भी खूब मजा आने लगा। मैं सरला से फोन सेक्स भी करने लगा। उसकी भी चूत फोन सेक्स करने से गीली हो जाती थी। वहीँ इधर मेरा लण्ड भी खड़ा होकर बहने लगता था।
कुछ महीनो बाद ही भाभी के पैर भारी हो गये। मेरे घर में कोई काम करने वाला नही था, इसलिए भाभी की माँ से सरला को हमारे घर लखनऊ भेज दिया घर के काम करने के लिए। दोंस्तों, भाभी के पैर भारी होने से सरला को मेरे घर आने का अच्छा बहाना मिल गया। मेरी तो लकी लॉटरी निकल आयी। पहले ही दिन जब सरला आयी तो हम दोनों घर वालों के सामने तो नही बोले, पर दोपहर में सब काम ख़त्म हो गया। भैया और पापा अपने ऑफिस चले गये, दोपहर को मैंने सरला को छत पर आने को कहा। दोंस्तों, इन दिनों भिसड़ गर्मियां पड़ रही थी। मेरी भाभी काम करके सो गई थी। उधर मेरी माँ भी कूलर चलाके लेती थी।
सरला ऊपर आयी। गर्मी जादा थी , इसलिए मैंने उसको टीन में आने को कहा। इस टीन के नीचे मेरे घर का सारा कबाड़ पड़ा था। सुखी लकड़ियाँ भी रखी थी, जिनसे सर्दियों में खाना बनता था। आज कितने महीनो बाद सरला से मिलने का मौका मिला था। कहना गलत नही होगा की हम दोनों एक दूसरे से बेपनाह मुहब्बत करने लगे थे। मैंने सरला को बाँहों में भर लिया। सायद जितना बेक़रार मैं था उससे मिलने के लिए, सरला भी उतनी ही बेकरार थी। हम दोनों ने एक दूसरे को कसके चिपटा लिया।
वो भी पागलों की तरह मुझे जगह जगह चूमने चाटने लगी। मेरे हाथ भी उसके सब गुप्त अंगों को छूने लगे। वही पास कुछ टाट वाले बोरे पड़े थे। मैंने बोरे जमीन पर बिछा दिए। सरला और मैं उसपर बैठ गए। मैंने उससे उसके घर का हाल चाल पूछा। वो हाल चाल बताती रही और मैं उसके मुँह, गालों, होंठों को चूमता गया। एक घण्टे तक वो मुझे अपने घर का हाल सुनाती रही। फिर बात ख़त्म हो गयी। मैंने सरला को वही टाट वाले बोरे पर लिटा दिया।
सरला!! आज चूत दे दे!! बिना चूत के अब काम नही चेलेगा!! मैंने कहा
ले लो! मेरी परमिशन है! वो बोली।
फिर क्या था दोंस्तों। मैंने सरला का सूट ऊपर उठा दिया। उसकी ब्रा को मैंने जरा ऊपर उठा दिया तो मेरी लिए जिंदगी के मायने बदल गये। बाप रे!! कितनी खूबसूरत चुच्ची थी । मैं तो बड़ी देर तक सरला की सरल चुच्ची और उसकी खूबसूरती को निहारता रहा। मैंने बड़े प्यार से बड़ा सम्हाल के उसके छाती की निपल्स को हाथ से छू कर देखा। मैंने अपनी उँगलियाँ सरला की सरल चुच्ची की निपल्स पर फहरायी। वो कसक उठी। वो होंठ चबाने लगी। गहरी साँसे लेने लगी। अब उसकी छातियां बड़ी और छोटी होने लगी।
मैंने रूककर ये क्रियाकलाप देखने लगा। सरला की धड़कन बढ़ गयी। उसकी चुच्ची जल्दी जल्दी फूलने सिकुड़ने लगी। मैंने बायीं छाती मुँह में भरली जैसी लोग गोलगप्पा मुँह में भर लेते है और मैं मस्त खिंच खींच कर अपनी साली की चुच्ची पीने लगी। उसके काले काले चिकने घेरो को देखकर तो मेरा यही दिल किया कि बस बाते बाद में कर लेना , पहले इसको चोद लो। पर मैंने इतनी जल्दबाजी करना ठीक नही समझा। मैं मुँह चला चलाकर अपनी साली की चुच्ची पी रहा था जैसे बछड़ा भैस की छाती पीता है। मुझे बड़ा सुख मिल रहा था।
फिर मैंने दूसरी छाती मुँह में भर ली। और गले तक मुँह में भरके पीने लगा। फिर मैंने उसका पूरा सूट निकाल दिया। बाप रे!! मैं तो उसकी खूबसूरती का कायल हो गया। दोंस्तों, सरल का रूप और यौवन बिलकुल मेरी भाभी जैसा था। काली काली आँखे थी, वही उसके बाल खूब चमकीले काले थे। मैं तो उसकी खूबसूरती का दीवाना हो गया था। मैंने अपने कपड़े निकाल दिए। सरला ने मेरे खड़े लण्ड को एक नजर देखा तो झेप गयी। उसने नजरे हटा ली और दूसरी ओर कर ली।
ले हाथ में लेकर देख!! मैंने जानबूजकर सरला को अपना मस्त मोटा गदराया लण्ड पकड़ा दिया। जैसै को काँप गयी और डर गयी। मैंने जबर्दस्ती की, और उसके हाथ में अपना मोटा लण्ड पकड़ा दिया। वो शर्म से पानी पानी हो गयी। मैंने फिर से उसे मोटे टाट बोरे पर लिटा दिया और फिरसे उसकी छातियाँ दबा दबाके चूसने लगा। इसी बीच मुझे शरारत सूझी। मैं उसकी दाई छाती कसके दबा दी। वो उछल गयी। मुझे उसके दर्द पर प्यार आ गया। अब मैं उसकी काली निपल्स अपने अंघुठे से मसलने लगा। सरला जी अब तो बड़ी चुदासी हो गयी।
मैंने अपने मुँह से सरला जी की सलवार का नारा खोल दिया। उसे नँगी कर दिया। उसकी पैंटी उतार दी। देखा की मेरे निपल्स मसलने से सरला जी की चूत पानी पानी हो गयी है।
मत करो! मत करो!! सरला मना करती रही, पर मैं ना माना। मैं अपने दोनों अंगूठों से उसकी काली घुंडियां मसलता रहा। उसे दर्द के साथ मजा भी मिल रहा था। दोंस्तों, पुरे 1 घण्टे तक मैंने फोरप्ले किया। अच्छी तरह सलमा को गरम किया। मैं फोरप्ले का फायदा जानता था। किसी भी जवान लौण्डिया को चोदने से पहले अछि तरह चूमना चाटना चाहिए जिससे वो अच्छी तरह गरम हो जाए और कसके चुदवाए।
मैंने अपना बड़ा सा लण्ड सरला के भोंसड़े पर लगाया और चोदने लगा। उफ़्फ़ कितनी कसी चूत! मेरे मुँह से निकल गया। मैं सरला जी को पेलने खाने लगा। मन में यही हल्का डर था कि कहीं भाभी या मम्मी छत पर आ गयी तो बड़ी मुसीबत हो जाएगी। क्योंकि छत पर कोई दरवाजा भी नही लगा था। बस यही दिक्कत थी। पर रिस्क तो लेना ही पड़ता है अगर किसी को चोदना है तो। आप ये कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे पढ़ रहे है.
सरला जी आराम से सीधी गाय की तरह पेलवाती रही और मैं उनको बजाता चला गया। खूब चोदा मैंने उसको। फिर उसके दोनों पैरों को मैंने उसके पेट पर क्रोस बनाके मोड़ दिए, एक टांग दूसरे के ऊपर रख दी और धकाधक चोदने लगा। इस मुद्रा में मुझे गहरा पेनिट्रेशन मिल रहा था। और गहराई से मैं अपनी साली को चोद पा रहा था। मैंने उसे खूब देर लिया, जब मैं झड़ने तो मैंने लण्ड निकाल उसकी बुर से निकाल लिया और माल उसके पेड़ू पर गिरा दिया। सरला ने मेरा माल अपनी ऊँगली से उठाया और पूरा पी गयी।
अब मैंने सरला को उठा दिया। टाट के मोटे बोरे पर मैं खुद लेट गया और सरला से लंड चुसाने लगा। सरला तो जानती ही नही थी की लड़कियों को लण्ड चुसाया जाता है।
सरला! तेरी दीदी भी इसी तरह भैया का लण्ड हाथ में लेकर चूसती है! मैंने सरला से कहा
अब वो सहज हो गयी और अच्छी तरह मेरा लण्ड चूसने लगी। मैंने मजे से अपने दोनों हाथ अपने सिर के नीचे रख लिए।
इक़बाल! तुम झांटे नही बनाते?? सरला ने पूछा।
बनाता हूँ रे!! पर आज तुझे चोदने की जल्दी जो थी, इसलिए नही बना पाया। मेरी बगलों में भी ढेर सारे बाल थे, पर सरला को लेने की इतनी जल्दी थी की मैं नही बना पाया। जबकि सरला अच्छी तरह झांटे और बगले बनाकर आयी थी। मुझे जरा शरम आ गयी तब सरला ने ये झांटों वालों बात कही। सरला मेरा लंड चूसती रही। अब मैंने उसे अपने लण्ड पर बैठा लिया और चोदने लगा।
देख सरला! तू धीरे धीरे उछलकर मुझे चोद!! मैंने समझाया।
सरला अब अपनी कमर उठा उठाके मुझे चोदने लगी। मेरा लण्ड उसकी बुर को पूरा पेनिट्रेट कर रहा था। मैंने आँखे बंद कर ली। सरला मुझे चोदने लगी। बड़ी देर तक उसने मुझे यूँ ही चोदा। मैंने उसकी छातियाँ सहलाता रहा, उसकी निपल्स को अपने अंगूठे से मसलता रहा और सरला अपनी दीदी की तरह चुदवाती रही। मैं उसके होंठ भी अपनी उँगलियों से सहलाता रहा। उसकी चुच्ची जब उछलती तो लगता कि मेरे बैट मारने से ही ये गेंद उछल कर स्टेडियम से बाहर जा रही है।
दोंस्तों, मैं उस दिन दोपहर को सरला के रूप पर फ़िदा हो गया था। वो किसी अफ्सरा, किसी हीरोइन से कम नही लग रही थी। ऐसी दुधभरी गोल गोल छातियाँ थी की दिल कर रहा था, अब कभी सरला कभी अपने घर ना जाए और मैंने उसको ऐसी ही खाता पेलता रहूँ। बिलकुल मक्खन जैसा बदन था उसका। अब मैंने सरला को एक सेकंड के लिए उठाया और पीछे मुँह करके बैठा दिए। सरला उछलकर उछलकर चुदवाने लगी। मैं कामोत्तेजक ढंग से उनके बदन, नँगी पीठ, उसकी कमर, उसके चूतड़ों को प्यार से सहलाता रहा।
फिर जब लगा की मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने लण्ड सरला की बुर से निकाल लिया और उसके मुँह में पिच्च पिच्च पिचकरी छोड़ दी। सरला मेरा माल पी गयी। उसके चेहरे पर भी मेरा चिप चिप गोंद लग गया। सरला वो भी उँगलियों से चाटकर पी गयी। अब सरला को मैंने चौपाया बना दिया। पीछे से उसके मस्त गुलाबी चुत्तड़ो के बीच मैंने अपना मुँह डाल दिया और सरला की बुर पीने लगा। सरला मचलने लगी। मैं और अधिक जोश खरोश से उसकी बुर पीने लगा। मैंने अपने अंगूठों से उसकी बुर चौड़ी फैला दी। बुर की गुलाबी अंदर की मलाई दिखने लगी।
मैं मिठाई की तरह अपनी साली सरला की बुर पीने लगा। फिर मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया। मैंने पीछे से लण्ड उसकी बुर में लगाया तो बार बार सरकने लगा। फिर मैंने फिर से कोसिस की। लण्ड बुर में चला गया। मैंने सरला की मस्त दुधिया कमर को कसके पकड़ लिया और उसे पेलने लगा। सच में दोंस्तों, उस दिन तो मजा आ गया था।
उस दिन के बाद सरला पुरे 2 महीने हमारे घर में रही। मैं हरदिन उसे छत पर ले जाता था, और वही टीन में उसकी खूब चूत मरता था। खूब उसके दूध पीता था। फिर जब मेरी भाभी का लड़का 1 महीने का हो गया, सरला आपमें घर चली गयी। पर दोंस्तों, फोन पर हम दोनों हर रोज फोन सेक्स करते थे। और जब जब वो हमारे घर आती थी, मैं उसकी बुर लेता था।
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