जब मैंने भैया से भाभी को चुदते देखा तो मुझसे रहा ना गया

मैं चकोर आप सभी को अपनी मस्त कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर सुना रही हूँ. मैं अजमेर की रहने वाली हूँ. मैं १८ साल की हूँ. कुछ दिन पहले ही मेरे भैया अर्जुन की शादी हुई. घर में एक मस्त मस्त भाभी आई. उनका नाम मनाली थी. कुछ ही दिनों में मेरी भाभी मेरी सबसे अच्छी सहेली बन गयी. अब हमेशा की तरह मैं घर पर अकेली नही थी. अब मुझसे बात करने के लिए एक प्यारी से भाभी मेरे पास थी. सुबह ९ बजे भैया तो ओफिस चले जाते थे. मैं भाभी के साथ खूब जी भरके बात करती थी. मेरा पूरा दिन यूँ ही चुटकियों में कट जाता था.

मैं उसके साथ घर के सारे काम करती थी, खाना बनाना, घर में झाड़ू पोछा लगाना, कपड़े साफ़ करना सभी कामों में मैं भाभी का साथ देती थी. फिर दोपहर में हम नन्द भाभी मिलकर टीवी पर सास बहू के सिरिअल देखते थे. हम दोनों में खूब पटती थी. पर एक बार मैं बार बार समझ नही पा रही थी. जैसे ही भैया आते थे, भाभी मुझे अपने कमरे से जाने को कहती थी.

चकोर!! तू जरा एक मिनट के लिए बाहर जा. तेरे भैया से मुझे कुछ जरुरी काम है !! मनाली भाभी हमेशा कहती थी. मैं अभी तक नादान थी. कुछ नही समझती थी. फिर एक दिन मैंने भी ठान लिया की मैं जानकर रहूंगी की आखिर भाभी को भैया से कौन सा काम रहता है. उस दिन शुक्रवार था. अर्जुन भैया अपने ऑफिस से जल्दी आ गए थे. वो सीधे अपने लैपटॉप का बैग लेकर भाभी के कमरे में घुस गए. मैं उनके कमरे में बैठी टीवी देख रही थी.

चकोर, तू एक मिनट के लिए बाहर जा. फिर आ जाना. मुझे तेरे भैया से कुछ जरुरी काम है! मनाली भाभी बोली.

मैं कमरे से बाहर आ गयी. पर दोस्तों, मैंने भी सोच लिया था की आज जानकर रहूंगी की आखिर भाभी को भैया से कौन सा जरुरी काम रहता है. जैसे ही उनका दरवाजा बंद हुआ. मैं दरवाजे के छेद से अंदर झाँकने लगी.  भैया से भाभी को बाहों में भर लिया था. मनाली भाभी ने स्लीवलेस कन्धों से खुली चटक नीली रंग की साड़ी पहन रखी थी. नीले रंग में भाभी के खुले गोरे चिकने कंधे तो अर्जुन भैया पर जैसे बिजली गिरा रहें थे. ‘मेरे पास तो आओ मेरी बुलबुल!! ऑफिस में तुम्हारी मुझे कितनी याद आई’ भैया बोले और उन्होंने भाभी के गोरे गोरे कन्धों को चूम लिया.

अच्छा!! भाभी ताज्जुब करने लगी

मेरी रानी! आज मेरी दोपहर को तुम रंगीन बना दो’ भैया ने कहा.

तो शर्ट खोलो! भाभी बोली. उन्होंने अर्जुन भैया के हाथ से लैपटॉप का बैग छीन लिया. इस वक्त सिर्फ २ बजे थे. दोपहर का वक्त था. पर मैं जान गयी थी भैया और भाभी कुछ करने जा रहें थे. मैंने अपनी आँखें दरवाजे के लोक वाले छेद से लगा दी थी. मनाली भाभी बड़ी खुश लग रही थी. उन्होंने भैया को बिस्तर पर खिंच लिया था. अपने हाथों से उनकी शर्ट के बटन वो खोलने लगी. फिर उन्होंने भैया की सफ़ेद बनियान को भी निकाल दिया. भैया के सीने पर हर तरफ घने घने बाल थे. भाभी चुदासी हो गयी थी. वो अर्जुन भैया के सीने पर सवारी करने लगी. उनके घने घने बालों के बीच में अपनी लम्बी लम्बी उँगलियाँ चलाने लगी. फिर वो भैया के सीने को चूमने लगी.

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जान!! मुझे भी तुम्हारी बहुत याद आ रही थी! भाभी बोली.

इतना सुनते ही अर्जुन भैया ने भाभी को दोनों गोरे गोरे सफ़ेद चिकने कंधे से पकड़ लिया और उनके होठ पीने लगा. मनाली भाभी ने अपने होठों में नीले रंग की साड़ी से मिलती लिपस्टिक लगाईं थी. भैया के होंठ भी अब नीले नीले हो गए थे. दोनों पति पत्नी मुँह से मुँह जोड़कर गरमा गरम चुम्बन ले रहें थे. भाभी भैया के बाल से भरे सीने पर लेती हुई थी. उसके गहरे गले से उसके सफ़ेद संगमरमर जैसे मम्मे साफ साफ दिख रहें थे. अगर मेरी जगह कोई मर्द भाभी को इस हालत में देख लेता तो उनको पटक के अच्छे से चोद लेता. ये बात तो मैं अच्छी तरह से जानती थी. धीरे धीरे अर्जुन भैया के हाथ भाभी के मस्त मस्त मम्मो पर जाने लगे. वो उनकी छातियाँ दबा दबा के उनके होठ पीने लगा. मनाली भाभी के लम्बे लम्बे बाल अर्जुन भैया पर बिखर गए थे. भाभी तो मस्त चोदना का सामान लग रही थी.

भैया भाभी के बालों की छाव में लेटे थे. उसके लबों का रस पी रहें थे. भाभी भी अपने शहद से मीठे होंठ उनको पिला रही थी और उनके सीने के घने घने बालों में अपनी पतली पतली उँगलियाँ फिरा रही थी. ये सब देख कर मेरी चूत गीली हो गयी. मैं मन ही मन सोचने लगी की कास कोई मर्द मेरे होठ भी इसी तरह से पीता. कुछ देर बाद अर्जुन भाई गरम हो गए. ‘खोल ब्लौस मनाली!! तेरी प्यास को बुझा दूँ’ भैया बोले और उन्होंने मनाली भाभी को बिस्तर पर पटक दिया. और खुद उन पर चढ़ गए. अर्जुन भैया ने भाभी के गहरे गले के चटक नीले रंग के ब्लौस के हुक खोल दिया. ब्लौस निकाल दिया. सच में मेरी भाभी किसी कोहिनूर हीरे से कम न थी. अगर अंग्रेज इस वक्त भारत पर आक्रमड करते तो सायद कोई हीरा नही बल्कि मस्त मस्त चूत वाली मनाली भाभी को ही उठा ले जाते.

भैया ने भाभी की ब्रा भी निकाल दी. मैं अपनी आँखों से भाभी को नग्न अवस्था में देखा. वो गजब का चोदने लायक माल थी. अगर वो इस तरह बाजार में चली जाती तो सायद बिना चुदे घर नही लौटती. रिक्शेवाला, पानवाला, सब्जीवाला हर कोई मेरी भाभी को चोद लेता. मैं उनके कमरे के बाहर बैठ गयी और सारा खेल अपनी आँखों से देखने लगी. भैया ने भाभी के दोनों संगमरमरी चुच्चों को पीना शुरू कर दिया. वो एक हाथ उनके मम्मे दबाते और फिर जोर जोर से आवाज करते पीते. सच में मेरी भाभी अंदर से बिना कपड़ों के बहुत सुंदर थी. अर्जुन भैया उसके दूध पी रहे थे. कुछ देर बाद भाभी चुदासी हो गयी.

अर्जुन!! मुझे चोदो. मेरी जान, मुझे जल्दी चोदो. अब मैं नही रह सकती!!! भाभी कहने लगी. वो जोर जोर से जल्दी जल्दी साँसें भर रही थी. उनकी साँसें किसी धौकनी की तरह चल रही थी. भाभी के चुच्चे बड़े और छोटे हो रहें थे. पर भैया को सायद उसके दूध पीने में ही जादा मजा मिल रहा था. वो आँखें मुंद के भाभी के दूध का रसपान कर रहें थे. ‘अर्जुन! अब मुझे चोदो! अब मुझे और मत तड़पाओ!!’ भाभी बार बार अपनी अरदास लगा रही थी. कुछ देर तक भैया भाभी की छातियों की पीते रहे. फिर वो नीचे आ गए. मनाली भाभी के पेट को चूमने चाटने लगे. उनकी गहरी नाभि को वो चूमने लगे. उनकी गहरी नाभि में वो अपनी जीभ डालने लगे. ये सब देख के मेरा मन खराब हो गया. मैं सोचने लगी की कास कोई लड़का ऐसे ही मुझे चोदता तो कितना अच्छा रहता.

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धीरे धीरे अर्जुन भैया ने भाभी की साड़ी का नारा खोल दिया. उनकी साड़ी निकाल दी और उनको बेपर्दा कर दिया. भैया ने उनका पेटीकोट उतार दिया. ये सब देखकर तो मुझपर बिजली ही गिर गयी दोस्तों. मेरी मनाली भाभी बिल्कुल करिश्मा कपूर जैसी खूबसूरत थी. अब भाभी पूरी तरह नंगी हो गयी थी. भैया ने उनकी चड्ढी भी निकाल दी थी. वो मनाली भाभी के पेडू को चाट रहें थे. ये सब देखकर मैं बहुत रोमांचित हो गयी थी. मेरी चूत बिल्कुल गीली गीली हो गयी थी. भैया अब भाभी की मस्त मस्त लाल लाल बुर को पी रहें थे. मेरी सुंदर सुंदर गोरी भाभी के जिस्म पर सिर्फ गले में उनका काले मोतियों और सोने के लोकेट वाला मंगल सूत्र था. और कमर में एक पतली सी चांदी की कमर बंद थी. पैर में उन्होंने चांदी की नई नई पायल पहन रखी थी. मनाली भाभी बिल्कुल इन्द्र की अफसरा जैसी लग रही थी. कोई मर्द भाभी की इस दशा में देख लेता तो बिना चोदे ना छोड़ता. अर्जुन भैया भाभी की मस्त मस्त चूत पी रहें थे. भाभी ने किसी देसी कुतिया की तरह अपने दोनों पैर खोल रखे थे. ‘अर्जुन!! मेरे यार. अब मुझे चोदो! मुझे मत तड़पाओ मेरे जानम!’ वो बार बार ये कह रही थी. पर भैया को उनकी बुर पीने में डूबे हुए थे. उन्होंने अपनी पैंट और चड्ढी निकाल दी थी. उनका सांप जैसा मोटा लौड़ा आज मैंने पहली बार देखा था. मेरे मुँह में तो पानी आ गया था. कास ऐसा होता की अर्जुन भैया भाभी की तरह मुझे भी कसके चोदते तो मैं कितना मजा मारती. मैं बार बार यही बात सोच रही थी.

जब भैया का दिल बुर पीने से भर गया तो वो अपनी ऊँगली भाभी की चूत में डालने लगे. जल्दी जल्दी भाभी की बुर को अपनी ऊँगली से चोदने लगे. आ सी सी आ माँ माँ उई माँ उई माँ, धीरे!! आराम से जानम!! आराम से !! मनाली भाभी ऐसी मादक सिसकियाँ निकालने लगी. मैं सोचने लगी की कास कोई लड़का ऐसे ही मेरी चूत में ऊँगली करता तो कितना मजा आता. फिर कुछ देर पश्चात अर्जुन भैया भाभी को चोदने खाने लगा. ये समा देख के मैं खुद को रोक ना सकी और जल्दी से मैंने अपनी सलवार खोली और पैंटी उतारकर खुद अपनी चूत में ऊँगली करने लगी. आज तो जैसे मुझे जन्नत ही मिल गयी थी. अर्जुन भैया जोर जोर से भाभी को चोद खा रहें थे. ‘ अर्जुन!! बस यहीं! बस यहीं करते रहो!! मेरे यार रुकना मत ! तुमको तुमहरी माँ की कसम, पेलते रहो! मुझे और जोर से पेलो!!’ मनाली भाभी ऐसे जोर जोर से चिल्ला रही थी. मैंने ये सब देखा तो मैं खुद को रोक ना सकी. मैं जोर जोर से अपनी बुर में ऊँगली करने लगी.

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भैया के ताबड़तोड़ धक्कों से भाभी के दोनों कबूतर आगे पीछे करके हिल रहें थे. दोस्तों, मैं आज सब समझ गयी थी की भाभी को अर्जुन भैया से कौन सा जरुरी काम रहता था. चुदवाना ही उनका सबसे जरुरी काम रहता था. मैंने अपनी आँखों से देखा भैया के जोर जोर से फटके. भाभी का सिर उपर की ओर था. वो अपने नथुने से गरम गरम साँसें छोड़ रही थी. उसके लम्बे लम्बे केश पुरे बिस्तर पर बिखर गए थे. भाभी के नाक की कील में लगा नग चमक रहा था. वो मेरे भैया से चुदवा रही थी. भैया उनको चोद रहें थे. भैया का मोटा लौड़ा उनकी दोनों टांगों के बीच के छेद को चोद चोद कर फाड़ रहा था. भाभी के दोनों गोरे गोरे चूतड़ हिल कर लपर लपर कर रहें थे. कुछ देर बाद तो ये सब और आकर्षक हो गया. भैया बड़ी जोर जोर से किसी मशीन की तरह भाभी को चोदने लगे. भाभी के मस्त मस्त चिकने बदन के ऐसी शानदार ठुकाई से उनका एक एक रोंगटा खड़ा हो गया.

अर्जुन भैया और जोर जोर से हचर हचर करके उनको पेलने खाने लगे. फिर कुछ देर बाद वो झड गए. अभी नई नई शादी हुई थी. भाभी पेट से ना हो जाए इसलिए भैया ने अपना बट्टे जैसा लौड़ा भाभी के भोसड़े से बाहर निकाल लिया और उनके पेट के उपर हाथ से लौड़े पर मुठ देने लगे. कुछ देर की मेहनत के बाद अर्जुन भैया के लौड़े से गरम गरम वीर्य की मलाई निकली और भाभी के मुँह, चुच्चों और मखमली पेट पर गिरी. मनाली भाभी उसे किसी मंदिर का प्रसाद समझ के चाटने लगी. उनके गोल गोल मम्मों पर जो मलाई गिरी भाभी अपने दूध को पकड़ के मुँह में लगाने लगी और वीर्य को पीने लगी. भैया भाभी पर गिर गए. दोनों सुस्ताने लगे. ये सब देख के मैं पागल हो गयी. मैं जोर जोर से अपनी चूत में ऊँगली करने लगी. कुछ देर बाद मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया. ये कहानी आप नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहें है.



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