फुफेरी बहन सेक्स कहानी : सभी लंड धारियों को मेरा लंडवत नमस्कार और चूत की मल्लिकाओं की चूत में उंगली करते हुए नमस्कार। नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम के माध्यम से आप सभी को अपनी स्टोरी सुना रहा हूँ। मुझे यकीन है की मेरी सेक्सी और कामुक स्टोरी पढकर सभी लड़को के लंड खड़े हो जाएगे और सभी चूतवालियों की गुलाबी चूत अपना रस जरुर छोड़ देगी।
Fuferi Bahan Sex Story, मेरा नाम दिलराज है। मैं मध्यप्रदेश के सतना जिले का रहने वाला हूँ। मैं अपनी रिश्तेदारी में जाकर लच्छेदार बाते करके लड़कियों और भाभियों को पटा लेता हूँ और उनको चोद भी लेता हूँ। मेरे अंदर बात करने का बहुत टैलेंट है। मेरे फुफेरे भाई की शादी होने वाली थी। जैसे ही शादी का कार्ड देखा मुझे सुलोचना की याद आ गयी। वो ही पहली लड़की थी जिसे मैंने अपने मोटे लंड से चोदा था।
ये बात 3 साल पहले की है। वो मेरे घर आई थी। फिर हम दोनों को प्यार हो गया और चुदाई वाला कारनामा हो गया था। मैंने सोच लिया की अपने फुफेरे भाई ब्रजेश की शादी में जाऊँगा। सुलोचना को एक बार फिर से चोदूंगा। मैंने अपनी माँम के साथ टिकट्स बुक करवा दिए। शादी दिल्ली में हो रही थी। मेरी बुआ और फूफा जी दिल्ली में ही रहते है पहाड़गंज में। मैं माँम के साथ पंहुच गया। सुलोचना पहले से भी सेक्सी दिख रही थी। वो नीली जींस और प्रिंटेड रेडीमेड शर्ट में बहुत ही खिली हुई दिख रही थी।
“कैसी है तू सुलोचना???”मैंने कहा
“बस ठीक हूँ भाई!! आपके लंड की याद आ रही थी??” वो बोली
“तो आज शाम को मिल। तेरी प्यास बुझा दूंगा” मैंने कहा
शादी की तैयारी शुरू हो गयी थी। घर में सभी लेडिस मेहँदी लगा रही थी। सुलोचना ने भी लगाई थी। उसके बाद संगीत की रस्म हुई। दूसरे दिन शादी थी। मेरी बुआ के लडके की शादी थी इसलिए हम लोग लड़के वाले साइड से थे। मैं सुलोचना के साथ ही बारात में गया था। साथ में पूरा कुनबा था। सुलोचना ने बहुत डांस किया था। हमारा दूल्हा यानी की ब्रजेश गेस्ट हॉउस के अंदर गया और और सब लोग चले गये। पहले जयमाल वाला कार्यक्रम हुआ। फिर शादी के फेरे हुए। पूरे वक्त मैं इसी ख्याल में था की सुलोचना की रसीली चूत कब चोदने को मिलेगी। शादी की रस्मे होने लगी और ब्रजेश अपनी होने वाली बीबी के साथ पंडित के सामने बैठा हुआ था। अब तक जादातर गेस्ट या तो चले गये थे या गेस्ट हॉउस के कमरों में जाकर सो गये थे। सुलोचना ब्रजेश के बगल में बैठी थी। रात के 1 बजे थे।
मैंने उसे आँखों से इशारा किया और बाहर लान की तरफ बुलाया। वो आई।
“तू अपने भाई की शादी ही करवाएगी या मेरे साथ भी कुछ करेगी???” मैंने कहा
“पर शादी तो हो जाए” वो बोली
“शादी तो समझ ले हो ही गयी है। पंडित को अच्छा पैसा मिला है। वो मंत्र पढ़ रहा है। अब तेरा उधर कोई काम नही है। चल कमरे में चलके चूत दे। मेरा लंड खड़ा हो रहा है” मैंने कहा
सुलोचना का आने का बहुत जादा मन तो नही था पर मैं उसे जबरदस्ती उपर बने रूम में ले गया। लड़की वालो से अच्छा पैसा खर्च किया था। लड़के वालो के लिए बड़े बड़े ए सी रूम बुक करवाये थे। मैंने एक कमरा खोला और सुलोचना का हाथ पकड़कर अंदर ले गया। आप लोगो को बताना ही भूल गया की सुलोचना ने आज अपने भाई की शादी पर ब्लैक कलर की जरी वाली सिल्क साड़ी पहनी थी। वो इतनी अच्छी तरह से तैयार थी की खुद ही नई नवेली दुल्हन लग रही थी। उसने अच्छे से मेकप कर रखा था।
हम दोनों बेड पर जाकर बैठ गये। फिर बाते करने लगे। मैं उसकी पीठ पर हाथ घुमाना शुरू किया। फिर उसे पकड़कर होठो पर किस करने लगा। सुलोचना ने मैजेंटा कलर की लिपस्टिक लगाई थी जिसमे उसके लिप्स बहुत ही जूसी और रसीले नेचुरल दिख रहे थे। हमारा किस शुरू हो गया। वो भी करने लगे। खूब चूसा उसने भी। खूब चूसा मैंने भी। फिर उसे गले पर जीभ लगाकर मैं किस करने लगा। चाटने लगा। ऐसा करने से बुआ की लड़की को बहुत हॉट फील हो रहा था। उसके गले को मैंने जरा जरा से दांत में लेकर चबाना शुरू किया और फोरप्ले करने लगा। सुलोचना “..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअअ….आहा …हा हा सी सी सी” करने लगी।
फिर मैंने उसके कान के निचले भाग को काटना शुरू किया। वो पूरी तरह से चुदक्कड लड़की बन गयी। खुद ही उसने मेरे हाथो को पकड़ा और अपने मीठे स्तनों पर लगा लिया। सुलोचना का फिगर 36 32 38 का था। उसके मम्मे किसी फ़ुटबाल की तरह दिखते थे जो सभी लड़को को अपनी तरफ खींचते थे। मैंने उसकी बड़ी बड़ी फुटबाल की गेंदों को हाथ से मसलना शुरू किया। वो और मादक सीत्कारें निकालने लगी।
“दिलराज!! मैं अपना ब्लाउस खोल रही हूँ। तुम आज अच्छे से मेरे स्तनों को पीना” सुलोचना कहने लगी
“जरुर बेबी” मैंने जवाब दुआ
मेरी किस्मत तब चमकी जब वो अपना ब्लाउस खोली। फिर ब्रा भी उतार दी। उसने अपनी अंडरआर्मस को अच्छे से क्लीन कर रखा था। रूम की ट्यूबलाईट की रोशनी में उसके स्तनों कुछ जादा ही चमकीले दिख रहे थे। मैं भी चुदासा हो गया और कस कसके हाथ से दबाने लगा। आटे की तरह गूथने लगा। मेरी बुआ की लड़की “……अई…अई….अई…..इसस्स्स्स्…….उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….”करने लगी। फ्रेंड्स जब 3 साल पहले मैंने उसे चोदा था तब उसके दूध का साइज सिर्फ 32” होता था। अभी कुछ ही सालो में 36” हो गया था। उसके सन्तरो की क्या तारीफ़ करूं मैं कितने बड़े बड़े और मुलायम थे। जितनी जादा सुलोचना गोरी थी उससे कही अधिक उसकी रसीली चूचियां सफ़ेद थी। मैं मुंह में लेकर काट काटकर चूसने लगा। फॉरप्ले करने लगा। बुआ की लडकी की चूत कामरस से गीली होने लगी।
“मेरे नर्म नर्म संतरे तेरे ही है दिलराज!! इनको अच्छे से दबा दबाकर चूसो ….अअअअअ….!!” सुलोचना कहने लगी
मैं भी अपनी स्पीड में आ गया। मुंह में लेकर काट काटकर जख्मी बनाकर चूस डाला मैंने भी।
“जान!! मेरी दोनों मुसम्मी को अपने लंड से चोदकर मुझे मजा दो!! कितने दिन हो गये किसी ने मेरे मम्मे को नही चोदा—-उंह उंह उंह हूँ– हूँ—” सुलोचना कहने लगी
“ठीक है बेबी” मैंने कहा
उसके बाद मैंने जल्दी जल्दी अपना पेंट कोट उतारा। बनियान और अंडरवियर उतारकर नंगा हुआ और लंड को हाथ में लेकर फेटने लगा। मेरा नागराज 6” लम्बा था और 2” मोटा। मेरा नागराज किसी भी मजबूत से मजबूत चूत की दीवाल को तोड़ सकता था। इसी लंड से मैंने 3 साल पहले सुलोचना की चूत की सील तोड़ी थी। मैं हाथ में लेकर फेटने लगा। धीरे धीरे लंड कड़ा होने लगा और लंड में खून आने लगा। मैं मुठ देता रहा। आखिर में मेरा नागराज अच्छी तरह से खड़ा हो गया। अब तो लोहा जैसा सख्त दिख रहा था।
मैंने अपने लंड को बुआ की लड़की के दोनों चूचो के बीच में सेट किया। दोनों चूचो को दबाया और जल्दी जल्दी चोदने लगा। सुलोचना मजा लुटने लगी। मैं उसके उपर बैठकर मजा दे रहा था। “अई…..अई….अई… अहह्ह्ह्हह…..सी सी सी सी….हा हा हा…” वो करने लगी। उसे भी बहुत सेक्सी फील हो रहा था। मुलायम खाल वाले दूध चूत जैसा मजा दे रहे थे। मैं खूब चोदा उसकी मुसम्मी को। फिर लंड से पिटाई करने लगा। मेरा बहुत सा माल उसकी गेंद पर लग गया। मैंने फिर से उसके दूध को मुंह में लिया और चूसकर साफ़ किया। उसके बाद वो खुद ही अपनी ब्लैक साड़ी खोल दी और साया भी उतार दी। सुलोचना ने अंदर पिंक कलर की जाली वाली पेंटी पहनी थी। वो आकर मेरे लंड को फेटने लगी। जल्दी जल्दी जोर जोर से।
“दिलराज!! अब तुम लेट जाओ!! लंड चूसन कार्यक्रम का मजा लो” सुलोचना कहने लगी
“ओके बेबी!!” मैंने कंधे उचकाकर कहा और लेट गया। गेस्ट हाउस का बेड बहुत ही गुलगुल और नर्म था। इस पर चुदाई का अच्छा आनन्द आने वाला था। मेरे 6” लंड को बुआ की लड़की यानी सुलोचना पकड़ ली और फेटने लगी। मैं “आऊ…..आऊ….हमममम अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी..हा हा हा…..” करने लगा। फिर वो और मेहनत से फेटने लगी। मेरी गोलियों को सहला सहलाकर मजा देने लगी। उसके बाद चूसने वाला काम शुरू कर दी। मैं तो बस लेटकर तमाशा देख रहा था। सब कुछ सुलोचना ही कर रही थी। वो किसी रंडी की तरह जानकार दिख रही थी। उसके हाथ बड़ी सेक्सी मालिश कर रहे थे मेरे लंड पर। वो थूक लगाकर गीला करके चिकना बना देती थी। उसके बाद उपर नीचे जल्दी जल्दी सिर हिलाकर चूस डाली। मेरे लंड के छेद से माल बाहर आने लगा जिसे वो चाट गयी। अब मेरी गोलियों का नम्बर था। वो उसे पहले हाथ से दबाने लगी। सहलाती रही, फिर मुंह में लेकर चूसने लगी। अच्छे से चूस रही थी।
“आऊ…..आऊ….लगता है आज तू मेरी जान ही ले लेगी!!” मैंने कहा
वो और अच्छे से गोलियों को चूसने लगी और मुझे खूब आनन्द दे दी। फिर सुलोचना अपनी पिंक पेंटी उतारकर मुझे अपनी चूत दिखाने लगी। उसकी चूत बहुत चिकनी थी। कोई बाल नही था उस पर। बहुत ही सेक्सी और मस्त दिखती थी।
“क्या तुम मेरी चूत चूसोगे??” वो कहने लगी
“तुम चाहती हो क्या??” मैंने पूछा
“हाँ! दिलराज! मैं चाहती हूँ की तुम मेरी चिकनी चमेली को चूस चूसकर मजा दे दो” मेरे बुआ की लड़की सुलोचना बोली
मैं जीभ लगाकर चाटने लगा। आज 3 साल बाद उसकी चूत पी रहा था। पाव की तरह फूली चूत के चिकने होंठ किशमिश की तरह रसीले लग रहे थे। मैं लगाकर उसके यौवनरस का मजा लेने लगा। चाटने चूसने लगा। सुलोचना “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..”करने लगी। उसकी बुर की आकृति बिलकुल तराशी हुई थी। मैं उसकी चुद्दी को जीभ लगा लगाकर छेड़ रहा था। उसके चूत के दाने को तडपा तड़पा पी रहा था। उसकी बुर का स्वाद खट्टा खट्टा खटाई की तरह था। मैं तो चूसने में व्यस्त था। वो अंगराई ले लेकर कमर और गांड उठा उठाकर चूसा रही थी। उसका बदन ऐठ रहा था, अकड रहा था। सुलोचना पर अब चुदाई के बादल मंडराने लगे थे।
“…..सी सी सी सी…तुम्हारी जीभ तो मुझे पागल कर रही है….और चाटो मेरी बुर को ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ” सुलोचना कहने लगी
वो मेरे मुंह को चूत में दबाने लगी। उसे बहुत अधिक आनंद मिल रहा था। उसकी मशीन बिलकुल चिकनी जेली जैसी थी। मैं बार बार उसकी फुद्दी को उगली से खोल देता था और अंदर का माल पी जाता था। अब तो मेरी बुआ की लडकी की चूत अपना मक्खन छोड़ने लगी थी। मुझे उसे चाटना बहुत प्रिय लग रहा था।
“……अई…अई….मेरी चुद्दी में ऊँगली डालकर मजा दो दिलराज!!” फिर सुलोचना कहने लगी
मैंने उसकी चिकनी चमेली बुर में ऊँगली डाल डालकर मजा देना शुरू कर दिया। वो अपनी 36” के मम्मे प्रेस करने लगी। वो कस कस के निपल्स को मसलने लगी। मैंने काफी देर उसकी चूत में उंगली की और उसके कामरस से भीगी ऊँगली उसे ही मुंह में देकर चूसा दी। वो चाट गयी।
“मुझे लंड पर बिठाकर चोदो दिलराज!! मेरी वासना की आग को मिटा डालो!” उसकी अगली फरमाइस थी
मैंने अपनी बुआ की जवान चुदासी लड़की की गांड पर हाथ लगाकर उसे अपने लंड पर बिठाया। मेरा 6” का लंड भी पूरी तरह से तैयार था। उसकी चूत का कचूमर बनाने को तैयार था। लंड अंदर घुस गया। वो सही से बैठ गयी। उसके बाद धक्का मुक्की शुरू हो गयी। सुलोचना कमर उचका उचका कर चुदाने लगी। मुझे भी काफी मजा मिल रहा था। मेरे लंड उसकी चूत की दीवाल को फाड़ फाड़कर अंदर घुसा जा रहा था। कुछ देर में अच्छे से सेट हो गया था। सुलोचना को लंड पर बैठकर चुदने की कला आती थी।
वो कमर को जल्दी जल्दी हिला हिलाकर सेक्स करने लगी। “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..” वो कहे जा रही थी। वो मस्ती में आ रही थी। उसकी मादक सीत्कारें फूटने लगी। मेरा दमदार लंड मस्ती से उसका गेम बजा रहा था। जल्दी जल्दी उछलने की वजह से बुआ की लड़की के दूध उपर नीचे फटर फटर करके उछल रहे थे। ऐसी में वो और भी मादक दिख रही थी।
“तुम भी नीचे से चोदो मुझे!! अहह्ह्ह्हह—अई yes can do” वो बोली और मेरे हाथो को उठाकर अपने बड़े बड़े चूतड़ पर रखवा दी
उसके बाद मैं भी अपनी तरफ से धक्का देने लगा। नीचे से धक्का मार मारके पेलने लगा। सुलोचना खूब मजा लूटी। खूब मजा ले ली। उसके बाद तो मेरा लंड बिजली की रफ्तार से नीचे से जल्दी जल्दी उसका काम लगा दिया। वो चिंघाड़ चिंघाड़ कर गहरी साँसे लेने लगी। फिर नीचे उतर गयी।
“साली छिनाल!! मजा आया की नही??” मैंने कहा और उसे लिटा दिया। कुछ देर उसकी चूत फिर से पीने लगा। फिर अपना 6” लम्बा और 2” मोटा लंड डालकर फिर से बुआ की लड़की का काम लगाने लगा। वो फिर से आनन्दित होने लगी। अब उसकी चूत का छेद अच्छे से ढीला हो गया था। मेरा लंड आराम से अंदर बाहर दौड़ रहा था। उसके चिकने वीर्य की वजह से लंड सटासट अंदर बाहर होकर फिसल रहा था।
“ohh!! yes yes yes!! fuck me hard दिलराज!! ….ऊँ—ऊँ…ऊँ सी सी सी…” वो कहने लगी
अब जाकर हमारी चुदाई की स्टोरी शुरू हुई थी। अब जाकर बुआ की लड़की अच्छे से गर्म हुई थी। अब ये मेरा धर्म था की मैं उसे चोदकर पूरी तरह से संतुस्ट करू और एक पुरुष के दायित्व को निभाऊं। मैं भी अपने कर्तव्य को निभाने लगा। जल्दी जल्दी चोदने लगा। फिर तो जो जो हुआ की आपको क्या क्या बताऊ। हम दोनों दौड़े दूर तब की जमीं खत्म हो गयी। सुलोचना की चूत भट्टी जैसी पिघलने लगी। मैं पेलता ही चला गया।
मेरा लौड़ा भी उसकी भट्टी में बुरी तरह से फंस चूका था। मैं भी पीछे नही हट सकता था। मुझे आज उसको इतना संतुस्ट कर देना था की बार बार वो मेरे पास आकर चुदा लिया करे। मैं सुलोचना को चोदता ही चला गया। उसकी बुर उसी तरह से चल रही थी जैसे पल्सर बाइक। बिलकुल साफ़ और बिना कोई आवाज किये। मैं हब्सी की तरह लंड दौड़ाने लगा। आखिर में उसकी फुद्दी से पट पट की तेज आवाजे आने लगी। मेरा मुझ पर कोई कंट्रोल नही था। सब अपने आप ही हो रहा था। मेरा लंड खुद ही ऑटो कंट्रोल मोड में आ गया था। वो बस सुलोचना की फुद्दी का काम तमाम कर रहा था तेज तेज। फिर झड़ने की दुखद घड़ी आ गयी। सुलोचना भी जानती थी की वो भी झड़ जाएगी। मैंने उसे कन्धो से पकड़ा और सीने में समेट लिया।
मैंने उसके गुलाबी होठो को चूसना शुरू कर दिया। वो भी चूसने लगी। फिर किस करते करते हम दोनों साथ में झड़ गया। मेरे लंड ने प्यार का गवाह बनकर मधुर पिचाकरियाँ उसकी चूत में छोड़ दी। उसने भी ऐसा किया। फिर मैंने कुछ देर बाद उसकी गांड चोदी। उसने खुसी खुशी चुदा ली। फिर वो कपड़े पहनकर अपने भाई ब्रजेश के पास चली गयी। मैं थककर सो चूका था। आपको स्टोरी कैसी लगी मेरे को जरुर बताना और सभी फ्रेंड्स नई नई स्टोरीज के लिए नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पढ़ते रहना। आप स्टोरी को शेयर भी करना।