मेरा नाम हनी है, हां मैं सचमुच में हनी जैसी ही हु, मैं मीठी हु, बहुत ही मीठी हु ये मैं नहीं कह रही हु, ये नाम तो मुझे कल ही मेरे पड़ोस में रहने बाले भैया ने दिया है, कल की रात बड़ी ही हसीन रात थी, मैं तो खूब चुदी, पहली बार मुझे लगा की ये चुदाई में तो बहुत ही मजा है, इतना दिन से तो बस बेकार में टाइम खराब कर रही थी अपने पति के साथ, किसी ने सच ही कहा मेरे दोस्त की जब तक आपको किसी चीज को तह तक ना करो उसके बारे में जानकारी अधूरी रह जाती है, पर कल मेरी सेक्स के प्रति रूचि और भी बढ़ गई है, पर अब कोशिस करुँगी की जब भी मेरा पति बाहर जाये और मैं अपनी धधकती वासना की आग को शांत करूँ.
मैं २४ साल की हु, गोरखपुर की रहने बाली हु, मैं कानपूर से पढ़ी हु, मेरी शादी मेरे साथ ही पढ़ने बाले लड़के कौशल के साथ हुयी है, मैंने लव मैरिज की है. घरवाले राजी नहीं थे इसवजह से हम दोनों नयी जिंदगी की शुरआत करने, हम दोनों दिल्ली आ गए, पति देव को नौकरी भी मिल गई और हम दोनों ख़ुशी ख़ुशी रहने लगे, ज़िंदगी काफी अच्छी चल रही थी, मुझे चुदना बहुत ही अछा लगता था, मैं अपने पति से रोज चुदती थी, मेरा पति मुझे लैपटॉप में बी ग्रेड की मूवी देख देख के मुझे चोदता था, फिर वो इंग्लिश मूवी देख के चोदने लगा, मैंने महसूस की की सब मर्दो का लैंड मेरे पति के लण्ड से ज्यादा बड़ा होता है. पर ये कहने से डरती थी की कही पति को बुरा ना लग जाए.
मेरा पति जब भी मुझे चोदता था जब भी मैं चरम सीमा पे होती थी, तभी मेरा पति कहता था गिरा दे, अब मैं गिराने बाला हु, और मुझे संतुष्टि मिलने के पहले ही वो निढाल होक मेरे ऊपर पड़ा होता था, मैं तृप्त नहीं हो पाती थी और तकिये को जांघ के निचे रख के सो जाती थी, क्यों की जब भी मुझे वो चोदता था उसके बाद कुछ भी बात नहीं करता था बस वो बेहोश होके सो जाता था. मुझे काफी गुसा आता था, मैंने सोचा की मेरे पति में प्रॉब्लम है की ऐसा ही होता है.
मेरे सामने एक बहुत ही सुन्दर इंसान रहता था, नाम था जतिन बहुत ही स्मार्ट था, जतिन की शादी हो चुकी थी पत्नी प्रेग्नेंट थी इसवजह से वो मायके गयी थी वो अकेले थे, एक दिन मेरे पति दिल्ली से बाहर गए थे, और रात को करीब ९ बजे फ़ोन आया की एक डॉक्यूमेंट को मुझे मेल करो, बहुत ही अर्जेंट है, मैं इधर उधर पता की पर पास में कोई भी साइबर कैफ़े नहीं था, करती भी क्या मैं निचे इधर उधर घूम रही थी और उनका फ़ोन भी बार बार आ रहा था, उसके बाद वो गुस्सा भी करने लगे, कहने लगे बहनचोद आज तुम्हे एक काम भी बोला है तो कर नहीं पा रही है, साली तूने तो मेरी ज़िंदगी ख़राब कर दी, मैं तो पछता रहा हु तुमसे शादी कर के, शादी के पहले तो तुम साली कहती थी मैं ये हु मैं वो हु, तुम्हारे झांसे में आ गया और मैंने खुद अपने पैर पे कुल्हारी मार ली.
और वो फ़ोन काट दिए, मैं रोने लगी, तभी जतिन मुझे रट हुए देख लिया और पूछा क्या हुआ भाभी, आपके हस्बैंड नहीं है घर पे क्या, तो मैंने कहा नहीं वो बाहर गए है, उन्होंने मुझे ये डॉक्यूमेंट को मेल करने के लिए कहा पर मुझे कोई साइबर कैफ़े नहीं मिला इस वजह से वो गुस्सा कर रहे है तो जतिन बोले आ जाओ मैं कर देता हु मेरे यहाँ सब कुछ है, मैं जतिन के साथ ही उनके घर पे चली गयी, फिर मैंने उनको मेल कर दिया.
मैंने बहुत दुखी थी, जतिन मुझे सांत्वना दे रहा था, पर मैं टूट गयी क्यों की और रोने लगी, सोच रही थी जिसके लिए मैं सब कुछ छोड़ा घर बार माँ पापा भाइयों को, पर आज मुझे वो जलील कर दिया, बस मेरे दिमाग में यही आ रहा था, और कपस कपस के रोने लगी, जतिन मेरे सामने आया और वो चुप कराने लगा, और मैं कब उससे लिपट के रोने लगी पता ही नहीं चला, पता तब चला जब जतिन का हाथ मेरे बड़ा को पीठ पे महसूस कर रहा था मेरी चूचियाँ उसके साइन से चिपकी हुयी थी, मैंने महसूस किया की जतिन का लण्ड खड़ा हो गया था और मेरे जांघ को टच कर रहा था, मैं एक मिनट के लिए सोचने लगी, क्यों ना आज इसका फायदा उठाया जाए, आज मैं अपने पति को जज कर सकती हु की वो वाकई में मुझे शरीर का सुख नहीं दे पा रहा है या तो मैं ही कुछ अधिक कामुक हु.
मैंने अपने आप को रोक नहीं पायी और मैं भी बाहों में जकड ली, वो मुझे किश करने लगा, और कब हम दोनों एक दूसरे के बाहों में बाहे डाल के बेड पे पड़ गए, वो मेरे ऊपर चढ़ गया, और मेरी चूचियों को मसलने लगा, वो मेरी पेंट को उतार दिया और मेरी टी शर्ट को भी, मैं ब्रा और पेंटी में थी, तभी वो उठा और बाहर मुआयना कर के आया और मैं दरवाजा बंद कर दिया, कही कोई नहीं था, वो आते ही मेरे पेंटी को उतार दिया और पैरो को अलग अलग कर के मेरे चूत में ऊँगली डालने लगा, कह रहा था भाभी क्या चीज हो आप तो मैंने कहा आज तुम भाभी नहीं बल्कि हनी कहो, तो उसने कहा हनी तेरे चूत की होने कितनी मीठी है और वो ऊँगली को चूत में डालता था फिर ऊँगली को चाटता था ऐसा लग रहा था की वो रसगुल्ले के रास को चाट रहा है.
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फिर वो मेरे चूत को जीभ से चाटने लगा, वो सिक्सटी नाइन की पोजीशन में आ गया और मैं उसके लण्ड को मुह में लेके चूसने लगी और वो मेरी चूत को अपने जीभ से चाट रहा था, बस दोनों साथ साथ एक दूसरे को चाट रहे थे, करीब ये सिलसिला ३० मिनट तक चला इस विच मैं दो बार झड़ चुकी थी, पर उसका लण्ड तो और भी मोटा हो रहा था, लंबा करीब ९ इंच का, मेरे कंठ तक जा रहा था उसका लण्ड. आप ये कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे पढ़ रहे है, जतिन भी मेरे चूत का चाट रहा था और ऊँगली मेरे गांड में डाल रहा था मेरी चौड़ी गांड भी मचल रही थी, ठुकवाने के लिए, फिर क्या था वो पूरा नंगा हो गया था, जतिन का लण्ड कोबरा की तरह खड़ा था और सलामी दे रहा था. मैं हैरान थी मेरे पति का लण्ड इससे आधा था.
वो मुझे लिटा दिया पैर को अपने कंधे पे रखा और लण्ड चूत के बीचो बीच और मेरी आँखों में देखा और मुस्कुराया और एक धक्का दिया लण्ड करीब चार इंच अंदर चला गया फिर वो दूसरे धक्के में ६ इंच और लास्ट में वो पूरा लण्ड मेरी चूत में डाल दिया, मुझे दर्द भी हो रहा था और एक नया एहसास था, पहली बार इतना दूर तक लण्ड गया था जिससे मुझे संतुष्टि मिल रही थी, मेरे शरीर सिहर रहा था चुचिया और भी तन गयी थी निप्पल भी खड़ा हो गया था, रोम रोम खड़ा था और उसका मजबूत शरीर मेरे शरीर पे रगड़ खा रहा था, चूत से फच फच की आवाज आ रही थी और हरेक झटके में मेरे मुह से आआह आआअह उफ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ्फ़ के अलावा कुछ भी नहीं निकल रहा था, क्या बताओ मेरे प्यारे दोस्तों, क्या फील हो रहा था, मैं खूब चुदी और तृप्त हुयी, उसके बाद मुझे एहसास हुआ था की मेरा पति मुझे ठीक से चोद नहीं रहा है,
मेरी एक सहेली है वो भी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे एक कहानी पोस्ट की थी क्यों की उसका भी पति चोद नहीं सकता था, इसी वेबसाइट से कई लोगो का ऑफर आया था, और वो आज तक 8 लोगों से चुद चुकी है जो की नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम का रेगुलर विजिटर है, वो पहले फिक्स करती है कौन से होटल में मिलना है और फिर वो जाती है दिन में चुदवा के आती है, कई लोग तो दिल्ली सिर्फ मेरी सहेली को चोदने के लिए आते है, वो मजा के लिए चुदवाती है उसका चुदवाना कोई धंधा नहीं है, वो बहुत आमिर है और खूबसूरत है, उसके पैसा नहीं सिर्फ प्यार चाहिए,
अगर मुझे भी कोई अच्छा सा इंसान मिला जो सब बातों को प्राइवेट रख सकता है तो मैं भी किसी होटल में चुदने के लिए तैयार हु, पर सब कुछ सीक्रेट रखना प्लीज, मेरी ज़िंदगी का सवाल है. लव यू डिअर,