अब ये बात साफ थी की काम करके पैसा कमाने से अच्छा था मन्दाकिनी से धंधा कराके पैसा कमाना। जब मन्दाकिनी 8 घण्टे की ड्यूटी बजती थी इस अकॉउंट फर्म में तब उसे 5 हजार मिलते थे। जबकि धंधा करके हम दोनों खूब पैसा कुछ ही देर में कमा लेता था। दिन में मैं ट्यूशन पढता था। रात को मन्दाकिनी से धंधा कराता था। 10 हजार मुझे मन्दाकिनी देती थी हर महीने। इस तरह 16 17 हजार मैं अब कमाने लगा था हर महीने।
मैं अब रजनीगंधा मसाला चबाता था और महंगी सिगरेट पिता था। पर अब भी ये पैसे कम थे। मुझे बढ़िया लाइफ जीने के लिए कम सनम 40 हजार हर महीने कमाते थे। मन्दाकिनी के पैसो को मैं ही सम्हालता था। बैंक से निकलना, जमा करना सब मैं ही करता था। मन्दाकिनी को बैंक जाना जरा भी पसंद नही था। पढाई लिखाई वाले काम में वो कच्ची थी। सब मैं ही सम्हालता था। मैं मन्दाकिनी से बिना पूछे भी उसके पैसा निकाल लेता था, चोरी कर लेता था।
एक दिन मन्दाकिनी नें कहा की वो प्रकाश और गीता के साथ के साथ शौपिंग पर जाएगी। मैंने मना किया। मैं उस दिन कानपुर अपने चच्चा को देखने गया था। वो बहुत बीमार थे और मरने वाले थे। मैंने मन्दाकिनी को मना किया शौपिंग जाने से और कहा की जब मैं आऊंगा तो खुद उसे ले जाकर शॉपिंग करवाऊंगा। पर रण्डी मानी नही और शॉपिंग चली गयी। जब मैं लखनऊ पंहुचा तो मन्दाकिनी ने मुझे अपनी नई ड्रेसेस, जेवेलरी, इयरिंग ,सैंडल्स दिखाई।
मुझे गुस्सा आ गया। मैंने रांड को थप्पड़ ही थप्पड़ लगाये। लात घुसे मार मार कर उनका मुँह बिगाड़ दिया। मन्दाकिनी के सारे बाल बिखर गए।
मादरचोद! आज के बाद तू मुझसे बिना पूछे कही गयी तो जान ले लूंगा तेरी ! मैं चीख कर बोला।
मुझे रह रह कर गुस्सा आ रहा था। मैंने फिर से रण्डी के गाल पर चामाचे जड़ दिया। मन्दाकिनी डर गयी। वो कापने लगी। मैं इस सोने के अंडे देने वाली चिड़िया को हाथ से नही निकलने देना चाटता था। मैं उसे अपने वस में रखना चाहता था। इसलिए उसे डरा धमकाकर रखता था।
सब मिलाकर मन्दाकिनी ने 1 लाख 10 हजार रुपए अपनी माँ को दिए थे पर अब भी हमारे पास पैसा था। डॉक्टर्स ने कहा था की 2 लाख एडवांस जमा करने पर मन्दाकिनी के पापा के कीमोथेरेपी सेशन शूरु होंगे। मन्दाकिनी साइड में अपनी 5 हजार वाली अकाउंटेंट वाली नौकरी भी करती रहती थी।
अभी भी हम लोगो के पास 90 हजार कम थे। मैं लगबघ हर दूसरे दिन साम को मंददकिनी के घर पहुच जाता था। उसके पापा तो हमेशा अपने कमरे में बीएड पर लेते रहते थे और टीवी से ही अपनी लाइफ काटते थे। मैं मन्दाकिनी के छोटे भाई बहनों को भी कभी 2 पढ़ा दिया करता था। मन्दाकिनी की माँ मुझसे बड़ी प्यार ने बात करती थी। वो अभी 40 की ही थी पर सामान ठीक थी। मैं यही सोचता था की ये सामान तो अभी जवान है इन्हें कौन चलाता होगा।
एक दिन मैं मन्दाकिनी के घर था। साम को 6 बजे थे। मन्दाकिनी अपनी जॉब पर थी। मैं उसके छोटे भाई बहनों को पढ़ा रहा था। उसकी माँ चाय लेकर आई। आज मुझे वो बड़ी घूरकर देख रही थी। मैंने भी उसको भरपूर निगाहों से देख लिया। कुछ महीने में मैं साफ 2 जान गया की उसकी माँ जो आज भी हेममैलिनी जैसी लगती है मुझे पसंद करती है। एक दिन माँ जी चाय लेकर आई। मुझे घूरकर देखने लगी। वो बहर गयी। मैं भी उनके पीछे गया और माँ जी माँ मैंने हाथ पकड़ लिया।
ये क्या कर रहे हो तुम रशीद? माँ जी ने ऐतराज किया
वही जो मुझे करना चाहिए मैंने उनका हाथ मजबूती से पकड़े हुए कहा
नही मेरा ऐसा कोई मतलब नही है वो किसी सती सावित्री की तरह बोली
ये सब बाते छोड़ो माँ जी, ये बताओ दोगी?? मैं माँ जी की आँखों में आँखे डालते हुए पूछा।
माँ जी दीवानी हो गयी। वो सब काम भूल गयी। मेरी निगाहों ने उनको बाँध लिया। वो पूरी तरह से मेरी आँखों में दुब गयी।
दोस्तों, मैं बता नहीं सकता। 20 25 मिनट तक माँ जी ने मुझे, और मैंने उनको नजरों ही नजरों में खूब चोदा। अब माँ जी अपनी चूत खुद देंगी मैंने ताड़ लिया।
जब देना हो बता देना और ध्यान रहे मन्दाकिनी को हमारे चक्कर के बारे में पता ना चले मैंने माँ जी से फुसफुसाकर कहा और वापिस पढाई के कमरे में आ गया।
बुद्ववार को माँ जी ने फ़ोन किया।
हलो रशीद! उन्होंने कहा धीरे से और चुप हो गयी।
इंडियन औरत मरते मर जाएगी पर कभी खुलके नही कहेगी की मुझे चुदवाना है। कभो नही कहेगी की ममैं चुदासी हूँ मुझे लण्ड चाहिए।
माँ जी कैसी को?? मैंने पुछा इस माँ बेटी दोनों को कसके चोदूंगा। मैंने मन ही मन सोचा।
अच्छी हूँ! वो बोली
माँ जी ई लव यू मैंने कहा
आप आज भी बड़ी हसीन हो मैंने कहा। मेरा लण्ड फनफनाने लगा। जवान औरत को देखते ही मेरे लण्ड में ताव आ जाता है। चोदने का मन करने लग जाता है।
माँ जी 10वी पास थी। वो ई लव यू का मतलब जान गयी थी। शाम 5 बजे मैं बाइक लेकर मन्दाकिनी के घर पंहुचा। सबसे बढ़िया बात थी की मेरी छिनार रात 8 बजे घर आती थी। इसलिए शाम के वक़्त मैं मन्दाकिनी की माँ शोभा देवी की चूत मार सकता था। बच्चों को मैं पढता भी थी पर आज तो किताब देखने का मन ही नही कर रहा था। मैं जानता था आज शोभा देवी की चूत मिलने वाली है।
मैं बाइक चलाकर मन्दाकिनी के घर जा रहा था पर बीके पर भी मेरा लण्ड उफान मार रहा था। पता नही कैसी बुर होगी माँ जी की। 2 साल ने तो मन्दाकिनी के पापा बीमार ही है। झांटे वाटे पता नही बानी होगी या नही। मैं घर पंहुचा और बच्चों को पढ़ाने लगा। माँ जी देखने के लिए मैं मरा जा रहा था। मन्दाकिनी को चोद चोदकर मैं बोर हो गया था। कुछ नही चूत मारने का मन था।
थोडी उदासभरी शाम थी। हमेशा की तरह मन्दाकिनी के पापा अपने कमरे में थे। वो सो रहे थे। उनकी तबियत ठीक नही थी। वो सो रहे थे। बीच 2 में जोर 2 से खासते थे। काफी देर तक माँ जी नही आई। मैंने सोचा की जादा सपने नही देख़ने चाहिए। मैं ये भी सोचने लगा की कहीं माँ जी का मुझसे चुदवाने का इरादा तो नही बदल गया। मैं थोडा निरास हो गया। और उनको चोदने की उम्मीद भी मैंने छोड़ दी।
बड़ा इंतजार करने के बाद माँ जी चाय दालमोट की ट्रे लेकर आई। नयी साड़ी पहन रखी थी। माँ जी ने मुझे ध्यान से देखा। मैंने अल्लाह का सुक्रिया किया की माँ जी मुझसे पट गयी थी। माँ जी मेरे पास ही सोफे पर बैठ गयी। मन्दाकिनी के भाई बहन को मैंने काम दे दिया। और माँ जी से बात करने लगा। माँ जी ने मन्दाकिनी के पापा के कमरे की सिटकनी लगा दी थी। जिससे कहीं ऐसा ना हो की वो हम लोगों को चुदाई करते पकड़ ले।
बच्चे अपना काम करने लगे। माँ जी मुझे ताड़ने लगी। मेरी पास ही बैठ गयी। मैं भी माँ जी को ताड रहा था। मन तो कर रहा था यहीं गिराकर पढाई वाले कमरे में ही माँ जी को चोद लूँ। पर बच्चे थे। माँ जी को और मुझे, दोनों को मजा आने लगा। माँ जी शांत थी और लगातार मेरी आँखों में देखी जा रही थी। लग रहा था माँ जी शराब पी रही है। मुझे भी कुछ ऐसा ही लग रहा था।
माँ जी ने पीले कलर की नई साड़ी पहन रखी थी। थोड़ मेकअप भी किया था। माँ जी आज भी जवान थी। चोदने लायक थी। अच्छा ख़ासा भरा बदन था। मैंने माँ जी के हाथ को अपने हाथ में ले लिया। माँ जी बिलकुल रेडडी थी। पर अभी कम से कम 1 घण्टा चुदाई नही हो सकती थी। बच्चों को होमवर्क कराना था। मैंने माँ जी के दायें हाथ को पकड़ लिया एयर सेक्सी अंदाज से अपने आंगुदे से सहलाने लगा। माँ जी को मजा आ गया। वो मेरे वस में हो गयी।
बच्चों की नजर से बचकर मैं माँ जी की जांघ पर भी हाथ रख देता था। माँ जी को पूरा मजा आ रहा था। किसी तरह 1 घण्टा बीता। मैंने बच्चों का होमवर्क करवा दिया। और उनको बाहर भेज दिया। कमर लॉक कर लिया। और माँ जी पर टूट पड़ा। मैंने माँ जी की कमर में हाथ दाल दिया उसके ब्लाउज के निचे। और सीधे उसके ओंठ पिने लगा। माँ जी के ओंठ पतले 2 थे पर काम चलाऊ थे।
माँ जी दोगी?? मैंने फिर पूछा
मैं जानता था की चूत तो उनकी मिलेगी ही आज। मैं तो थोड़ा मजा ले रहा था।
माँ जी चुप थी। ओंठ पिने से माँ जी गरम हो गयी। किसी भी औरत को गरम करके चोदने में ही मजेदारी है, फोर्पल्ये के बिना मजा नही आता है। मैंने माँ जी के मम्मे दाबने शूरु किये। क्या मस्त मम्मे थे। बिलकुल मन्दाकिनी के जैसे बड़े 2 गोल गोल थे। थोड़े ढीले थे पर आज भी माँ जी आकर्षक थी।
दोस्तों, लण्ड बुर नही चोदता, लण्ड तो हमेशा चेहरा ही चोदता था। हर लौण्डिया या औरत की बुर तो एक ही तरह होती है। काली 2 फर्क सिर्फ इतना है की चेहरा अलग होता है। मन्दाकिनी को 3 4 सालों से चोदने के बाद ये नया शिकार मैं कर रहा था। मैं माँ जी के मम्मो को जोर 2 से दाबने लगा। माँ जी की सिसकारियाँ निकलने लगी।
जरा धीरे करो…रशीद दर्द हो रहा है माँ जी धीरे से बोली।
अरे माँ जी मैं तो जो भी करता हूँ जोर से करता हूँ। आज तुमको बड़ा मजा आएगा। एक बार मुझसे चुदवाओ तो! मैंने धीरे से माँ जी के कान में फुसफुसाकर कहा
माँ जी ने छोटी बाँध रखी थी। कान में सोने के गोल टॉप्स पहन रहे थे। मैंने सोचा की बाल खोलकर इनको चोदूंगा तो बड़ा टाइम लगेगा। ऐसे चोटी में भी इसको चोदना चाहिये। मैंने खड़े 2 ही एक हाथ नीचे माँ जी के पेटीकोट में डाला और उनकी चूत तक अपने हाथ ले आया।
मैं माँ जी की बुर में उंगली करने लगा। अरे बाप रे, मैं तो सोच रहा था की झांटे ही झांटे होंगी पर माँ जी हेयर रिमूवर से झांटे बना ली थी। छुने ने उनकी चूत चिकनी नर्म और मुलायम लग रही थी। मैं उनकी चूत में ऊँगली करने लगा। माँ जी सिसक उठी। मैंने पीछे से किसी शिकारी की तरह माँ जी को पकड़ रखा था। मेरे हाथ माँ जी की चड्ढी में था। हाथ उनके मम्मो पर था।
माँ जी आज तुम्हारी चूत मारूँगा मैंने धीरे से उसके कान में कहा और माँ जी को सोफे पर लेता दिया। एक मन हुआ की ऐसे ही ब्लौसे उतारे बिना ही माँ जी को चोद लूँ। शाम को दूध वाला भी दूध लेकर आता था। मेन गेट मैंने बन्द कर रखा था। मैं चाहता था माँ जी का काम लगा दूँ तब कोई आये। इनकी चुदाई हो जाए तब कोई आये। इनकी चुदास मिट जाए तब कोई दरवाजा खटखटाये।
मैंने सीधे माँ जी की साड़ी ऊपर उठा दी। माँ जी की आँखों में नशा छा गया। वो जान गयी की आज 2 साल बाद आज उनको 25 के नए जवान लौंडे का लण्ड खाने को मिलेगा। फिर मैंने उनका पिले रंग का पेटीकोट भी ऊपर उठा दिया। खुदा कसम माँ जी एकदम करारा कड़क मॉल निकली। एकदम गोरी 2 टाँग, भरी 2 गोरी चिकनी जांघ। गोरे घुसते। मेरा 9 इंच के लौड़े ने तो रस चुने लगा।
माँ जी आप तो आज भी गजब का सामान हो। आपने तो कोई लौड़ा भी पट जाएगा। आपको पाने के लिए कोई आदमी तो अपनी धन दौलत भी आपके नाम कर देगा। मैंने कहा। मैंने उसके हसींन पैरों को चूमा, उनकी चमकती चांदी की पायल को भी चूम लिया। फिर मैं उनकी गद्देदार जांघों को सब जगह चूमने लगा।
इस औरत की जांघ इतनी गद्देदार है तो चूत कितनी गद्देदार होगी? मैं सोचनें लगा।
मैं उनकी जांघ का खूब चुम्मन लिया। माँ जी ने नीली रंग की चड्डी पहन रखी थी। मैंने अपनी ऊँगली उनकी चड्डी में दाल दी और निकलने लगा।
जरा धीरे सूरे करना। बहुत दिनों से किया नही ना माँ जी बोली
चिन्ता मत करो माँ जी सुरुवात धीरे ही करूँगा मैंने कहा धीरे से
जैसे ही मैंने उनकी चड्डी उतारी मेरे होश उड़ गए। एक बड़ी खूबसूरत सी बड़ी सी बुर मेरे सामने थी। बुर की बिच की लाइन ऊपर से निचे तक दिखाई दे रही थी। मेरे मुँह में पानी आ गया। मैंने ओंठ माँ जी की हसीन बुर पर लगा दिए। और चाटने लगा। उनका पानी रिस रहा था। मैंने ऊँगली से बुर फैलाई, 2 साल से काम नही लगने से बुर सीलबन्द लग रही थी।
अरे माँ जी, आपके भोसड़े का छेद तो जाम हो गया है। इसे फिरसे खोलना पड़ेगा मैंने कहा
उधर वैसलीन रखी है माँ जी बोली
मैंने वेसलिन लगाई और चूत को मुलायम और चिकना किया। दोस्तों अब मैंने मन बनाया की माँ जी को ब्लाउज़ उतारे बिना ही चोदूंगा। कौन ब्लाउज़ उतारे फिर ब्रा खोलो। माँ जी की चूत देखते ही मैं सब भूल गया था।
मन्दाकिनी के बाप ने माँ जी को खूब चोदा था। भसोड़े की पिच पर खूब रन बनाये थे मन्दाकिनी के बाप ने। तभी तो चोद चोदकर 3 बच्चे पैदा किये थे। मैंने माँ जी की बुर को एक बार फिर से देखा। खूब बड़ा सा भोसड़ा कमल के खिले फूल की तरह। मेरी मन्दाकिनी इसी भोंसड़े ने निकली है आज मैंने देखा। एक चूत से कितनी चूत निकलती है, मैं सोचने लगा। उपरवाले ने भी क्या सिस्टम बनाया है एक चूत से जितना मन करे उतनी चूत बनाओ। ये तो जादू का खेल है, मैं सोचने लगा।
मैंने फिर माँ जी की गांड देखी। बिलकुल फ्रेश।
अरे माँ जी आपकी गाड़ तो फ्रेश है मैंने चौकते हुए कहा।
हमारे समय में इसको गन्दा मानते थे माँ जी आँखे बन्द करके बोली
अरे माँ जी आजकल की लौण्डिया तो खूब गाड़ मराती है मैंने कहा। मन हुआ की माँ जी से कह दू की आपकी लौंडियाँ मन्दाकिनी को मैंने खूब चोदा है। इतना ही नही दूसरों से भी खूब चुदवाया है पर ऐसा करना तो अपने पैर पर कुल्हारी मारना था।
मैंने अपने कपड़े निकल दिए। अपनी टी शर्ट और लेवी की नीली जीन्स निकाल दी। और अपना लंबा सा तंदुरुस्त लौड़ा माँ जी के मुँह में दे दिया।
ये क्या कर रहे हो रशीद, नही ये ठीक नही माँ जी बोली
माँ जी बिना लण्ड चुसवाये तो मुझे जरा सा मजा नहीं आता है मैंने कहा और माँ जी मुँह में पेल दिया। माँ जी की साँस रुक गयी। सायद मन्दाकिनी के बाप माँ जी से लण्ड नही चुसवाते होंगे।
काफी जबरदस्ती करने पर माँ जी मेरा लंबा लण्ड चूसने लगी। मैं 35 40 साल की उम्रदराज औरत को चोदने का कबसे सपना था। लोग अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप जाने के सपने देखते है पर मैं तो बस एक उम्रदराज औरत को चोदने के सपने देखता था। आज मेरा वो long time ख़्वाब पूरा हो रहा था। ये बहुत बड़ी उपलब्धि थी। माँ जी अब मेरा लौड़ा चूस रही थी। मेरा फिर मन हुआ इनके बाल खोल कर इनको लूँ। फिर सोचा की दूध वाला आने वाला है।
मैं लैंड बाहर निकाला। एक बार उसके ओंठ पर बाये से दायें घिशा। मैंने अपना स्मार्टफोन निकाला और वीडियो रिकॉर्डर ऑन कर दिया। फ़्लैश जल गया।
ये क्या कर रहे हो रशीद। नही ये गलत है बिलकुल गलत माँ जी बोली। उनको लगा ये वीडियो मैं किसी को दिखा ना दूँ।
अरे माँ जी, आप भरोषा रखो। किसी को नही दिखाऊंगा मैंने विश्वास दिलाया।
वो शांत हो गयी। मैंने उनके बुर को ऊपर से निचे तक रिकॉर्ड किया। गाड़ भी रिकॉर्ड की। बायें हाथ में कैमरा लिया, दाँये हाथ से मैं माँ जी की चूत में ऊँगली करने लगा। बन्द सील खोलने लगा। अंदर गोल 2 आकार में ऊँगली घुमाने लगा।
माँ जी को मजा आ गया। उनमे हलचल होने लगी। मैं माँ जी की चूत के ओंठ चाटने लगा और भंगाकुर चाटने लगा। जहाँ से माँ जी मूतती थी वो छेद भी चाटने लगा। ऊपर चाट रहा था निचे ऊँगली कर रहा था। माँ जी सिस्कारी लेने लगी। उनको मजा आने लगा। कुछ देर बाद माँ जी की कुर चिकनी हो गयी। रास्ता खुल गया। उनका सफ़ेद घी जैसा वीर्य आधी चम्मच बाहर निकल आया। मैंने माँ जी के घी को ऊँगली में लगाया और उनको दिखाया
देखो माजी , तुमहारा माल निकल आया मैंने उनके मॉल को उनकी भोसड़े में ऊपर से निचे तक अच्छे से मालिश कर दिया।
माँ जी की चुदाई की रिकॉर्डिंग चल रही थी। सबसे पहले प्रकाश को दिखाऊंगा। मैंने सोचा। मैंने लण्ड माँ जी के चूत के छेद पर रखा और अंदर डाला। लण्ड आधा ही गया। मैंने जोर से धक्का मारा और मेरा लौड़ा सीधे माँ जी के पाताल में
माँ जी की गाड़ फट गयी। वो कसमसाने लगी। हल्का दर्द भी हो रहा था। मैंने लौड़ा निकाला और जान बुझ के एक बार फिर जोर से धक्का मारा। एक बार फिर से माँ जी की माँ चुद गयी।
रशीद धीरे करो। मैं मर जाउंगी माँ जी मिन्नते करने लगी।
अरे माँ जी जब आपकी लौण्डिया मन्दाकिनी नही मरी तो आप कैसे मरेंगी मैंने सोचा।
माँ जी को पेहलर देना मैंने शूरु किया। धीरे धीरे। रिकॉर्डिंग चल रही थी। फिर मैंने फ़ोन टेबल पर सेट कर दिया।
इसको साली को चोद लूँ पहले मैंने कहा और माँ जी बड़े प्यार प्यार से चोदने लगा
माँ जी जननत की सैर करने लगी। मैं माँ जी को धोने लगा धोबी पत्थर पर कपड़े पटक 2 के धोता है। मैं माँ जी की चुदाई का वीडियो भी बना रहा था। उनके भंगाकुर को ऊँगली से सहला भी रहा था उनको बजा भी रहा था।
आह आह आह रशीद! आह माँ जी मजे लूट रही थी। वो गर्म आहे ले रही थी।
उन्होंने अपनी दोनों टंगे ऊपर उठा ली थी। लग रहा था इंडियन बोर्डर पर वो जंग लड़ रही थीं और 2 झण्डों को उठा भारत माँ की जय! भारत माँ ही जय के नारे लगा रही हो।
माँने लगभग आधे घण्टे तक माँ जी को लिया। मैं भी हाफ गया माँ जी भी। हम दोनों कुछ देर के लिए सुस्ताने लगे।
माँ जी आधे घण्टे तक पैर उठाकर तुमने चुदवाया, पैर में दर्द नही हुआ? मैंने कौतुहल से पूछा
ना…रशीद बिना काम के पैर उठाउंगी तब दर्द होगा माँ जी बोली
माँ जी क्या टपाका मॉल लग रही थी। लौण्डिया से भी इसकी अम्मा ही गजब है मैंने सोचा।
मैं माँ जी पर लद गया। बड़े जोश से सच्चे आशिक की तरह मैंने माँ जी के गुलाबी गालों को पकड़ा और उनके ओंठ पिने लगा।
माँ जी, अब मैं आपको शोभा पुकारूँगा मैंने कहा
ठीक है रशीद वो बोली
चल घूम जा शोभा पीछे से पेलूँगा मैंने बड़ी बदतमीजी से कहा। कहीं कोई सम्मान नही। पर चुदाई में और जंग में सब जायज होता है मैं जानता था। माँ जी घोड़ी बन गयी। वो पीछे घूम गयी और अपने पिछवाड़े को ऊपर उठा दिया। 4 पैर वाली जानवर बन गयी माँ जी। मैंने पीछे से उनकी बुर चाट ली। लण्ड सुराख़ में रखा और पेल दिया। इनकी कुटाई सूरी कर दी। अपने दोनों हाथों से मैंने माँ जी के बड़े 2 चुत्तड़ पकड़ लिंये।
माँ जी तुम बहुत खूबसूरत हो। तुम्हारे चुत्तड़ कितने बड़े 2 और कितने चिकने है मैंने कहा
माँ जी ने पता नही सुना की नही सुना। वो तो पेहलर का सुख ले रही थी। चट चट चट! मैंने माँ जी के चुत्तडों पर चाटे मारे और इनको लाल कर दिया। मैं मजे से इनका भोसड़ा फाड़ रहा था। मैं एक बार फिर से उपरवाले का शुक्रिया अदा करने लगा। अगर ये भोसड़ा और लौड़ा खुदा नही बनाता तो हम इंसानो को इतना मजा कैसे आता।