Family Sex Story, Bap Beti Sex Story, Real father daughter sex story in Hindi : दोस्तों, मैं वैभवी मिश्रा आप सभी का नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर बहुत बहुत स्वागत करती हूँ. ये पहली पहली स्टोरी है. मैं आपको बताना चाहूंगी की मैं नॉन वेज की बहुत बड़ी प्रशंशक हूँ. मैं यहाँ की मस्त सेक्सी कहानी रोज पढ़ती हूँ. आज मैं आपको अपनी सेक्सी स्टोरी सुना रही हूँ. मैं लखनऊ की रहने वाली हूँ. मेरे पापा श्री अखिलेश मिश्रा की पढाई लिखाई विदेश में हुई थी. मेरे बाबा दीनानाथ मिश्रा ने ही उनकी पढाई का सारा पैसा खर्च किया था और उन्हें विदेश भेजा था. जब मेरे पापा अमेरिका गये तो उन्हें वहां की गोरी गोरी मेम ने बहुत आकर्षित किया. इसका नतीजा ये हुआ की पापा बहुत ही सेक्सी हो गये और गोरी लड़कियों की खूब चुदाई करने लगे.
रोज उनको नही नही गोरी लड़की और उसकी चूत मिलने लगी. जब पापा अपनी डॉक्टरी की पढाई पढकर लौटे तो उनको नित दिन एक नई नई चूत मारने की आदत हो गयी थी. फिर पापा की शादी हो गयी और उन्होंने मेरी माँ को दिन रात चोदा, जिससे मैं पैदा हुई. मेरी मम्मी बैंक में नौकरी करती थी. जादातर वक़्त पापा ही मेरे आस पास रहते थे. मम्मी के पास न रहने पर पापा मुझे रोज नई नई गन्दी गन्दी चुदाई वाली ब्लू फिल्म दिखाते थे. मुझे जादातर समय नंगा ही रखते थे. पापा मेरे सामने आये दिन मुठ मारते थे और कहते थे की मुझे सेक्स और शारीरिक शिक्षा दे रहे है. ये सिलसिला चलता गया. मैं १८ साल की जवान लौंडिया हो गयी. मेरे दूध अब बड़े हो गये और किसी पके आम की तरह दिखने लगे. उधर मेरी चूत भी काफी बड़ी हो गयी. चूत पर और उसके चारों तरह झाटें आ गयी. मुझे जब ऍम सी आई तब पापा ने कहा की मैं चुदने लायक हो गयी हूँ.
‘बेटी वैभवी !! हमारे खानदान में जब लड़की को पहली ऍम सी आती है तो उसका बाप ही उसे चोदता है और कसके उसकी बुर मारता है. हमारे यहाँ ऐसी परम्परा सदियों से चली आ रही है. इसलिए वैभवी तुमको मेरा लौड़ा अच्छे से चुसना होगा जिससे मैं तुमको अच्छे से चोद सकूं” पापा ने कहा. मैनें उनकी बात पर विश्वास कर लिया. हकीकत में मेरे पापा मुझे चोदना चाहते थे और मेरी बुर मारना चाहते थे. इसलिए नये नये बहाने मुझे रोज बताते थे. माँ के रहने पर वो मेरे नंगे नंगे बाथटब में स्नान करते थे. जहाँ तक की जब मैं १८ साल की जवान चोदने लायक लड़की हो गयी तो भी पापा मम्मी के ऑफिस जाने के बाद मेरे कपड़े निकलवा देते और मेरे साथ बाथटब में बैठ के नंगे नंगे नहाते और मेरे अंगो को मजे से छुते.
इस तरह दोस्तों मेरी १८ साल की परवरिश मेरे पापा ने ऐसी की की मैं सेक्स और चुदाई के बारे में पूरी तरह खुल गयी और हर किसी से सेक्स के बारे में खुलकर बात करने लगी. जब रात को पापा मम्मी को चोदते तो समय मैं जरुर पूछती “कहो पापा रात में कैसा प्रोग्राम हुआ?? माँ को चोदकर चरम सुख दिया की नही??’ इस तरह के सवाल मैं पापा से करती. फिर एक दिन वही हुआ जिसका मुझे अंदाजा था. एक दिन मजाक मजाक में मैंने पापा से कह दिया की जब आप मम्मी को रात में पेलते है तो मुझे जलन होती है. किसी दिन मुझे भी चोदिये???’ मैंने कह दिया. पापा बहुत खुश हो गयी. क्यूंकि अब जल्द ही उनको एक नई बुर मिलने वाली थी. इधर मैं भी बड़ी खुश थी की मैं भी पापा के मोटे लौड़े का मजा लूंगी. अगले दिन जैसे ही मम्मी अपनी बैंक गयी. पापा से घर का मेन गेट अंदर से बंद कर दिया.
‘वैभवी बेटी !! आ तुझे चोदना सिखा दूँ. रोज तू शिकायत करती है की मैं सिर्फ मेरी मम्मी को पेलता हूँ. चल बेटी कमरे में आज तुझे चोदना सिखा दूँ!!’ पापा बोले. मैं कमरे में गयी तो उन्होंने एक एक करके मेरा सलवार सूट निकाल दिया. मैं ब्रा और पेंटी में आ गयी. मेरे चुच्चे बहुत बड़े और गोल गोल हो गये थे. मैं बिलकुल चुदने लायक सामान हो गयी थी. मैंने चूत पर पेंटी भीपहन रखी थी.
‘मेरी बेटी कितनी बड़ी हो गयी है???’ पापा हसंकर बोले. मेरे भरे पुरे गदराये बदन को देखकर वो ऐसा बोल रहे थे. पापा ने अपना कच्छा बनियान उतार दिया और बिलकुल बिना कपड़ों के हो गये. उन्होंने मुझे पास लिटा लिया और मेरे जिस्म को चूमने चाटने लगे. धीरे धीरे मुझे भी मजा आने लगा. फिर पापा ने मेरी ब्रा और पेंटी निकाल दी. ये मेरी लिए कोई बड़ी बात नही थी क्यूंकि पापा मुझे १८ सालों से नंगा करके ही मेरे साथ नहाते थे. इसलिए दोस्तों, ये मेरी लिए कोई बड़ी बात नही थी. पापा ने मेरे बड़े बड़े ३४ साइज़ के बूब्स पर हाथ रख दिए तो मेरे दूध किसी रबर के गुब्बारे की तरह अंदर को दब गये. पापा ने अपना मुँह मेरे मुँह पर रख दिया और मेरे ओंठ पीने लगे. धीरे धीरे मुझे भी मजा आने लगा. मैं भी मुँह चला चलाकर पापा के ओंठ पीने लगी. मुझे कुछ देर में बहुत जादा मजा आने लगा.
‘बेटी वैभवी !! अपने अमृत के समान मम्मे मुझे पिला दे!!’ पापा बोले
‘पी लो पापा !! मेरी जवानी आपके नाम !! आपने ही मेरी माँ को चोद चोदकर मुझे पैदा किया है इसलिए मुझे आप कसके चोदिये और मेरे मम्मे पी लीजिये!!’ मैंने कहा
फिर पापा मेरे बहुत ही सुंदर नये नये दूध पीने लगे. आज तक कोई लड़का मेरे इन दूध तक नही पंहुचा था. मैं बहुत सुंदर थी. पर मेरे दूध तो माशाअल्लाह थे. अगर कोई भी लड़का या मर्द सिर्फ एक बार मेरे मम्मो का दीदार कर लेता तो मुझे बिना चोदे नही छोड़ता. इसलिए दोस्तों, मेरे बाप मेरे गोरे गोरे काले शिखर वाले दूध मजे से पीने लगे. मैं उनकी किसी गाय की तरह अपने दूध पिलाने लगी. पापा मेरी छातियाँ पीकर उसी तरह मस्त हो गये जैसे शराबी शराब पीकर मस्त हो जाता है. उनका लौड़ा तुरंत खड़ा हो गया. पापा जोर जोर से मेरे नुकीले लचकदार बूब्स दांत से उपर की तरह खींचते तो ये दृश्य देखने काबिल होता था. पापा ने मेरी जवानी का पूरा फायदा उठाया और मेरी जवानी के मजे लूटे. पुरे १ घंटे तक पापा मेरी सुंदर गोल गोल चिकनी छातियों से खेलते रहे. मनमुताबिक़ मुँह में भरके पीते रहे. कभी इधर खिचते, कभी उधर खीचते. उन्होने खूब मजा लिया.
बेटी वैभवी ! आ मेरा लौड़ा चूस आकर!’ पापा बोले. अपने सर के नीचे हाथरखकर किसी फुटबाल खिलाड़ी की तरह वो बेड पर लेट गये. उनका लौड़ा पुरी तरह से खड़ा हो गया था. बहुत बड़ा और दोस्तों बहुत ही सुंदर गुलाबी रंग का पापा का लौड़ा था. मेरी नजर तो लौड़े के सुपाड़े पर लगी हुई थी. उनका सुपाड़ा ही बहुत गुलाबी और विशाल था. किसी मोटे मार्कर पेन की तरह पापा का सुपाड़ा नुकीला नुकीला था.
‘ले बेटी !! इसे मुँह में लेकर चूस. तुझको भी खूब मजा आएगा” पापा बोले
मैंने शुरुवात लौड़ा हाथ में पकड़ने से की. ये सब मेरे लिए थोडा अजीब था. क्यूंकि आज तक मैं किसी लडके या आदमी का लौड़ा नही चूसा था. मैंने डरते डरते पापा का सुपाडा मुँह में ले लिया. उसका सवाद मुझे नमकीन नमकीन लगा. मैं चूसने लगी. कुछ देर बाद तो मुझे खूब मजा आने लगा. मेरा मनोबल बढ़ गया. अब मैंने पापा का लौड़ा आगे तक लेकर चूसने लगी. धीरे धीरे मेरा मजा बढ़ने लगा. और मैंने पापा का लौड़ा पूरा का पूरा अंदर गले तक मुँह में भर लिया और किसी रंडी की तरह चूसने लगी. ‘शाबाश बेटी !!! शाबाश !! तू चुदाई की फिल्ड में मेरा नाम बहुत रोशन करेगी. सायद तू सनी लिओन की तरह महान रंडी और छिनाल बन जाए और बोलीवुड में खूब नाम कमाए.. शाबाश बेटी !! तू अच्छा लंड चुस्ती है. चूस बेटा चूस!!’ पापा बोले. मेरा कॉन्फिडेंस और बढ़ गया. जो चुदाई की फिल्मे पापा मुझे बचपन से दिखाते आ रहे थे, उसमे में रंडियां इसी तरह मर्दों का लौड़ा मजे से सिर हिला हिलाकर चूसती थी. पापा का लंड बहुत सुंदर था. उसपर बहुत सारी नसे निकली थी. पापा का लंड खूब मोटा और पुष्ट भी था. मैं इस बात की पूरी उमीद लगा रही थी की जब ये सिलबट्टे सा लौड़ा मेरी बुर में जाएगा और मुझे चोदेगा तो कितना मजा और सुकून मिलेगा. पर अभी तो चूसने का समय था.
पापा के लंड की खाल माँ को चोद चोद कर पीछे भाग गयी थी. सुपाडा तो इतना सुन्दर था की मैं आपको क्या बखान करूँ. मैं जब पापा का लौड़ा चूस रही थी तो उन्होंने अपना हाथ मेरे दूध पर रख दिया और सहलाने लगे. इस तरह भी मुझे बहुत मजा आया. फिर पापा ने मुझे सीधा बिस्तर पर लिटा दिया. मेरे दोनों पैर खोलकर मेरी चूत पीने लगे. वैसे भी उनका लौड़ा चूसकर मेरी बुर गीली हो गयी थी और अपनी चाशनी छोड़ रही थी. पापा मजे से अपनी जीभ घुमा घुमाकर मेरी चूत पीने लगे. मुझे तो बहुत अच्छा लगा दोस्तों. मैं अपनी गांड और कमर उठाने लगी. मैं खुद को रोक नही पा रही थी. मेरी चूत में तूफान मचा हुआ था. मेरी चूत में सनसनी मच गयी थी. बस यही दिल कर रहा था की काश कोई मुझे जल्दी से चोद दे. पर मेरे प्यारे पापा तो अभी मेरी बुर पीने में बीसी थे. “वाह बेटी !! कितनी गुलाबी और कुवारी चूत है तेरी!! कोई जवाब नही!’ पापा बोले और मेरी बुर पीने लगे. फिर उन्होंने मुझे चोदना शुरू कर दिया.
दोस्तों, पापा मुझे चोदने लगे. मेरी बुर पर झांटे भी थी. जैसे जमीन पर हरी हरी घास उग आती है ठीक उसी तरह मेरी झाटे भी बड़ी मुलायम और सॉफ्ट थी. पापा मेरी चूत मारने लगे और मेरे रूप का रस पीने लगे. कितने कम बाप होते है जिनको अपनी बेटी को चोदना का सौभाग्य प्राप्त होता है. पापा मजे मजे से चोदने लगे. मैंने नाक में एक महीन कील पहन रखी थी. मैं बहुत सुंदर लग रही और पापा से चुदवा रही थी. “बेटी !! वैभवी !! तू बड़ी सुंदर है रे!! तेरी चूत तो तुझसे भी जादा सुंदर और कमायत है बेटी !!’ पापा मेरी तारीफ़ करने लगे और मुझे चोदने लगे. कुछ देर बाद मुझे भी बहुत सुख मिलने लगा और कमर उठा उठाकर मैं पापा का लंड खाने लगी. मैं पापा के सामने बिलकुल नंगी थी. मेरे जिस्म का एक एक हिस्सा किसी हीरे की तरह चमक रहा था.
पापा मेरे जिस्म हो हर जगह हाथ लगा ररहे थे. मुझे चूम रहे थे. सहला रहे थे, प्यार कर रहे थे. वो सब बहुत रूमानी और रोमांटिक पल था. पापा के लौड़ा आराम से मेरे भोसड़े में घुस गया था और फिसल रहा था. मैं चुद रह थी और पापा के सिलबट्टे जैसे मोटे लंड का स्वाद ले रही थी. मेरे होठ बड़े ही खूबसूरत और रसीले थे. पापा बार बार मेरे होठो पर अपनी उँगलियाँ फिरा रहे थे और मुँह में मेरे होठ भरकर उसका पूरा रस चूस रहे थे. मैंने अपनी दोनों टाँगे उपर कर ली थी. फिर कुछ देर बाद पापा मेरी बुर में ही शहीद हो गये. उन्होंने जैसे ही लौड़ा मेरी बुर से बाहर निकाला मैं उनका लंड चूसने लगी. मुझे बहुत मजा आया. फिर हम दोनों बाप बेटी किसी बॉयफ्रेंड और गर्ल फ्रेंड की तरह प्यार और मस्ती करने लगे. “बेटी वैभवी !! बता तुझे चुदकर कैसा लगा???’ पापा बोले
“पापा जी !! ये तो शानडाल एक्सपीरियंस था. मुझे चुदकर बहुत मजा आया. एक अजीब सा नशा मुझे हो गया था. पापा सच में मूझे बहुत मजा आया’’ मैंने कहा. दोस्तों, कुछ देर बाद हम बाप बेटी का फिर से चुदाई का मन बन गया था. मैंने खुद इस बार अपनी दोनों टाँगे खोल दी और पापा का लौड़ा बुर में ले लिया. मैं अपने पापा के लौड़ा का माल बन गयी थी. पापा की चुदासी रंडी मैं बन गयी थी. इस बार भी पापा मुझसे मजे से मेरी चूत मारने लगे. पापा से एक बार चुदकर मेरी जिस्म की आग भड़क गयी थी. कामवासना क्या चीज होती है मैं अच्छे से जान गयी थी. इसलिए अब बार बार मैंने अपनी चूत में पापा का लौड़ा खाना चाहती थी. पापा दूसरी बार मुझे ठोक रहे थे. मेरी चूत में फिरसे सनसनी होने लगी थी. वो जोर जोर से हच हच करके गहरे धक्के मेरी बुर में मार रहे थे. मुझे बहुत जादा मजा आ रहा था. मेरा कान झनझना रहा था. पूरा बदन काँप रहा था. मैं चुद रही थी. पापा मुझे पुचकार रहे थे और मेरे मत्थे पर किस कर रहे थे. वो एक बेहद एक्सपर्ट चुदैया थे. मेरी चूत को जोर जोर से मथते रहे. मेरे भगंकुर को वो मजे से सहलाते रहे जिससे मुझे जादा से जादा यौन उतेज्जना प्राप्त हो.
पापा ने मुझे बड़ी देर तक चोदा फिर भी आउट नही हुए. फिर उन्होंने मुझे अपने लौड़े पर बिठा लिया और मुझे चोदने लगे. मैं किसी ऊंट की तरह उपर नीचे जाने लगी. पापा मुझे इस तरह लंड पर बिठाकर चोदने लगे. ये तरीका भी मुझे बहुत पसंद आया. दोस्तों मैं इनती खूबसूरत थी की पापा की नजरे मुझ से जरा भी नही हट रही थी. वो मुझे कमर उचका उचकाकर चोद रहे थे. धीरे धीरे मेरी चूत का पापा के लंड से तालमेल बैठ गया. मैं किसी किसी घोड़ी की तरह उचक उचककर चुदवाने लगी. इस तरह आदमी के लौड़े पर बैठकर चुदवाना अब मैंने सीख गयी थी. मेरा आम नीचे की तरफ लटक रहे थे. पापा मेरे आम में हाथ लगा रहे थे और जोर जोर से दबा रहे थे. मुझे बहुत मजा मिल रहा था दोस्तों.
“वैभवी बेटी !! तुम अच्छा कर रही हो. जल्द ही तुम एक नंबर की छिनाल बन जाओगी और लड़का हो या आदमी हर किसी से मजे से चुदवा लिया करोगी!!’ पापा बोले
“थैंक्स पापा जी !!’ मैंने कहा.
फिर दोस्तों, उन्होंने मुझे अपने सीने पर लिटा लिया. और मेरे मांसल गोश से भरे चूतड़ों को सहला सहलाकर मुझे चोदने लगे. मेरे मम्मे अब पापा के सीने पर आ गये थे. उन्हें बड़ा गुलगुल लग रहा था. मेरे जिस्म की खुबसू लेते लेते पापा मुझे खा रहे थे. बड़े देर तक हम बाप बेटी की कामलीला चलती रही. कुछ देर जब पापा को लगा की वो आउट होने वाले है. उन्होंने तुरंत अपना लौड़ा मेरी चूत से बाहर निकाल लिया और मेरे मुँह पर पापा ने सारा माल किसी पिचकारी की तरह गिरा दिया. पापा का माल सफ़ेद सफ़ेद किसी क्रीम की तरह था और बहुत गाढ़ा गाढ़ा था. मैं पापा का सारा माल पी गयी.
“शाबाश बेटी!!! शाबाश !! तुम जल्द ही एक असली माल बन जाओगी” पापा ने कहा. मैं हँसने लगी. ये कहानी आप नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है.