मैं रविन्द्र पाण्डेय आपको अपनी कहानी नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर सुना रहा हूँ. आशा है आपको ये पसंद आएगी. मैं एक बड़ी टेलिकॉम कम्पनी में सेल्स मेनेजर था. कंपनी उत्तम नगर [दिल्ली] और इसके आप पास के इलाके में बिजनेस करना चाहती थी. इसकी पूरी जिम्मेदारी मुझे दी गयी. मैं किराये पर एक प्रोपर्टी ले ली और अच्छा ऑफिस बना लिया. मुझे अपनी टीम के लिए ६ लडके चाहिए थे जो कम्पनी के प्रोडक्ट्स बेच सके. मैं इसके लिए अख़बार में विज्ञापन दे दिया. ६ सेल्स एक्जीक्यूटिव मैंने भर्ती कर लिए. वो मार्किट और बंगलों में जाकर प्रोडक्ट्स बेचते थे. ५ लडके तो अच्छा काम कर रहे थे, पर ६ वाँ लड़का बिजनेस नही ला पा रहा था. उसका नाम प्रमोद था. २ महीने बाद कम्पनी के हेड मेरी ब्रांच में आये तो प्रमोद को टर्मिनेट [निकालने] का आर्डर हेड सर ने दे दिया.
‘रविन्द्र!! प्रमोद काम नही कर पा रहा है. २ महीने में उसने कोई बिजनेस नही दिया है. उसे टर्मिनेशन लेटर आज ही दे दो’ हेड सर बोले और चले गये. मैंने प्रमोद को बुलाया तो वो रो रहा था.
‘सर!! मेरी अभी नई नई शादी हुई है. प्लीस मुझे मत निकालिए!’ प्रमोद बोला.
‘प्रमोद! तुमने २ महीने में कोई बिजनेस नही दिया है. इसलिए मुझे तुमको निकालना ही होगा!’ मैंने कहा. ये सुनते ही वो जोर जोर से फूट फूट कर रोने लगा. मेरा दिल पिघल गया. मैं उसे लेटर नही दिया और अगले दिन आने को कहा. रात भर मैं उसके और उसकी जवान बीबी के बारे में सोचता रहा. प्रमोद की अभी नयी नयी शादी हुई थी. उसकी औरत रचना बहुत ही खुबसूरत थी. मैं रात में सो न सका और बस रचना के बारे ने सोचता रहा. ‘नही सर! प्रमोद को आप नौकरी से मत निकालिए. वरना हम दोनों का क्या होगा!” मैं यही सपना बार बार देख रहा था. रचना पर मेरी नियत खराब थी. अगर उसकी चूत मिल जाए तो क्या कहना. मैं प्रमोद को अगले दिन ऑफिस बुलाया.
‘देखो प्रमोद!! तुम्हारी नौकरी बचाना नामुमकिन सी बात है. क्यूंकि तुम अच्छी तरह से जानते हो की कोई भी कम्पनी बिना बिजनेस के नही चल सकती है. बस एक तरीका है जिससे तुम्हारी नौकरी बच सकती है. पर सायद तुम इसके लिए तयार न हो!’ मैंने चालाकी से कहा. प्रमोद बहुत ही डेस्पेरेट लग रहा था.
‘आप बोलिए सर, मैं अपनी नौकरी बचाने के लिए कुछ भी करूँगा!’ प्रमोद बोला.
‘प्रमोद! तुमको अपनी जवान और खूबसूरत बीबी को मुझे और हेड सर को तोहफे के तौर पर देना होगा. तुम समझ रहे हो ना मैं किस तरह इशारा कर रहा हूँ. अगर तुम ऐसा कर सको तो मैं तुम्हारी नौकरी बचा लूँगा!!” मैंने कहा. प्रमोद साफ साफ़ समझ गया था की मैं उसकी बीबी को चोदने की बात कर रहा हूँ. इतना ही नही हमारे कम्पनी के हेड मेनेजर श्री बांके लाल भी उसकी बीबी को एक रात को लिए चोदेंगे तब जाकर प्रमोद की नौकरी बच पाएगी. दोस्तों, मेरी बात सुनकर प्रमोद का चेहरा फक हो गया. बिलकुल उतर गया.
‘प्रमोद!! आराम से सोच लो!! कोई जल्दी नही है. तब तक ये तुम्हारा टर्मिनेशन लेटर मेरे पास सुरक्षित रखा है!’ मैंने कहा. कुछ दिन बाद प्रमोद अपनी बीबी को चुदवाने ले आया. ‘सर अपनी नयी नवेली बीबी रचना को मैं ले आया हूँ!!’ वो बोला. मेरी नजर रचना पर गयी. ५ फुट ४ इंच की पतली दुबली लडकी थी वो. वाईन रेड रंग की साड़ी पहने हुए. पतला गोरा चेहरा. बड़ी बड़ी चमत्कार काली काली पुतलियाँ. संतुलित उभर में चुच्चे. गोरे गोरे हाथ. गले में काली मोतियों वाला मंगल सूत्र. हाथ में खनकती नयी नई चूड़ियाँ. हाथ की उँगलियों में तरह तरह की चांदी, सोने और रत्नों की अंगूठियाँ. प्रमोद की बीबी रचना को देखकर मेरा लंड खड़ा हो रहा दोस्तों. बहुत करीने से भगवान से इसे बनाया है. इसकी चूत निश्चित रूप से बड़ी मीठी होगी. मैंने सोचा. जबरदस्त माल रचना को अपने केबिन में बिठा मैं प्रमोद को बाहर ले गया.
‘प्रमोद!! तुम्हारी बीबी तो बड़ी मस्त यार है यार. मैं यकीन से कह सकता हूँ की इसकी चूत बड़ी मीठी होगी. एक रात मैं इसे चोदूंगा. और एक रात हेड सर!’ मैंने कहा. प्रमोद बेचारा बहुत उदास था. मजबूरी में उसने सर हिला दिया. मैंने उसको जाने को कह दिया. उसने एक नजर मेरे केबिन में बैठी अपनी बीबी रचना की ओर देखा. फिर भारी कदमों से चला गया. रचना की चूत मारने को मेरा लौड़ा बेताब था. मैं अंदर गया.
‘रचना! तुम जानती हो ना की तुम किस काम से आई हो??’ मैंने पूछा
उसने सर हिला दिया. मैं खुश हो गया. चपरासी से मैंने कहा की अभी २ घंटों के लिए मेरे केबिन में किसी को ना भेजे. अभी मैं बीबी हूँ. चपरासी भी जान गया की प्रमोद की बीबी की मैं चूत लूँगा. मैं केबिन का दरवाजा अंदर से लोक कर लिया. पर्दे खींच दिए. सोफे पर रचना के बगल जाकर बैठ गया. रचना के कंधे पर मैंने हाथ रख दिया. शर्म और झिझक से वो १ इंच आगे बढ़ गयी. मैं रचना के दोनों कंधे पकड़ के अपने पास खींच लिया और उसके नीले लिपस्टिक लगे होंठों पर मैं ओंठ रख दिए. वो झिझकने लगी. पर मैं तेजी से रचना के दोनों कंधे पकड़ लिया और पीने लगा. दोस्तों, वो लडकी बहुत मस्त माल थी. जरुर प्रमोद उसको रोज चोदता होगा. मैं रचना के नीले नीले होंठो को पीने लगा. उसकी नाक बड़ी सुंदर थी. छोटी सी प्यारी से नाक थी. मैं नाक को हल्का सा दांत से काट लिया. रचना के सर से साड़ी का पल्लू सरक गया.
मैंने बिलकुल पास से उसे देखा. बिलकुल नई चिड़िया था. सोफे की दीवाल से लगाकर मैंने उसको बिठा दिया. और उनके पतले पतले हसीन ओंठ पीने लगा. मेरे हाथ प्रमोद की बीबी रचना के मम्मे पर जाने लगे. फिर मैं उनको दबाने लगा. कुछ मिनटों में रचना को मैंने ऑफिस में नंगा कर लिया था. मेरी सांसें बेतहासा हो गयी थी. बड़ी जोर जोर से चल रही थी. रचना बिलकुल कड़क माल थी. उसमे मम्मे बहुत मुलायम रुई जैसे सॉफ्ट थे. लगता था जैसे सामने कलाकंद रखा हो. मैं मुँह में भरके रचना के दूध पी रहा था. इतने खूबसूरत मम्मे की देख लो तो दिमाग ख़राब हो जाए. मुझे मन ही मन अपने टीम मेम्बर प्रमोद से जलन होने लगी. ‘बहनचोद!! रोज चूत मारता होगा इस झकास माल की’ मैंने सोचा.
‘रचना! क्या प्रमोद तेरी चूत रोज लेता है???’ मैंने पूछा
‘हाँ सर! ऐसी एक भी रात नही होती जब मेरी चू…….त नही लेते!’ रचना बोली.
‘तू है ही इतनी हसीन की कोई भी आदमी तेरा आदमी बनता तुझे चोदे नही मानता’ मैंने कहा. उसके बाद दोस्तों, मैं बड़ी जोर जोर से रचना के दूध पीने लगा. लडकी थी या कयामत थी. कामुकता और वासना की जीती जागती मिसाल थी वो. रचना के जिस्म का एक एक कोना किसी सोने के टुकड़े से कम नही था. मैं उसके पुरे जिस्म में हर जगह दांत काटता रहा. उसके चूचकों पर सिक्के जैसे ठप्पे को मैंने खूब पिया. रचना के कंधे, पीठ को चूमता मैं उसके पेट पर आ गया. उसके मखमली पेट को चूमकर उसकी नाभि पीने लगा. नाभि में जीभ से गुदगुदी करने लगा. रचना मुझसे खुल गयी. वो हसने लगी. मैंने सोचा की अब मजे से खुलकर चुदवाएगी. मैंने उसे अपने ऑफिस के केबिन के अंदर ही सोफे पर लिटा दिया. रचना की नशीली नाभि से उसकी चूत तक हल्के हल्के रेशमी बालों की कतार जा रही थी. दोस्तों, मैंने उसी कतार पर अपनी जीभ रख दी.
रचना को गुदगुदी होने लगी. उस मनमोहक रेशमी कतार को मैं बड़े ही प्यार और हिफाजत से चुमते सहलाते मैं उसकी चूत की तरह बढ़ गया. फिर उसकी चूत के दर्शन हो गये. लगा मंदिर में भगवान के दर्शन हो गए है. बिलकुल बाल सफा चूत, क्लिटोरिस के उपर झाटों की एक मोर पंखी बनी हुई.
‘बहनचोद!! रचना ये झाटों की मोर पंखी किसने बनायीं??” मैं आश्चर्य से पूछा
‘सर! ये प्रमोद ने ही बनाई है. बड़े शौक़ीन मिजाज आदमी है. अपने हाथों से बड़े प्यार से मेरी झांटें बनाते है. फिर हर हफ्ते नई डिजाइन बनाते है!’ रचना बोली
‘अच्छा तो गांडू बड़ा शौक़ीन आदमी है! सायद पूरा दिन तुम्हारी चूत में ही घुसा रहता है. इसलिए बिजनेस नही ला पाता!’ मैंने कहा. रचना की चूत के ठीक उपर बनी मोर पंखी को मैं चूम लिया. और रचना की लाल चूत पीने लगा. कुछ ही दिन की चुदी हुई कसी चूत. रचना को गुदगुदी होने लगी. मैं किसी गिरगिट की तरह अपनी जीभ को बढ़ाकर रचना की चूत पीने लगा. प्रमोद के हाथों से बनी उस मोर पंखी को भी मैं चूम रहा था और पी रहा था. फिर मैंने उसकी चूत खोल दी और मजे से पीने लगा. फिर कुछ देर बाद मैं प्रमोद की नयी नवेली बीबी को चोदने लगा.कुछ मिनट ही हुए थे की प्रमोद का फोन आ गया. ‘सर! रचना अभी नयी नयी है. कैसी गैर मर्द से आज पहली बार चुदवा रही है. इसलिए आज मेरी बीबी को प्यार से चोदना. कोई रंडी , कोई छिनाल मत समझना’ प्रमोद भरी गले से बोला
‘प्रमोद! मेरे भाई मैं तेरी औरत को अपनी औरत की तरह चोदूंगा. तू जरा भी फिकर मत कर!’ मैंने कहा और फोन काट दिया. मादरचोद!! रचना की गोरी गोरी भरी भरी जांघें देखकर मेरी नियत डोल दी. मैंने ऊँगली और अंगूठे से रचना की भरी भरी जांघ पर बड़ी जोर की चुटकी ली. उसकी रबड़ी सी मुलायम खाल को मैं खूब हैवानित से चुटकी लेकर काट लिया. रचना की माँ चुद गयी. ‘सर!! प्लीस चुटकी मत काटो! आराम से चोदो!! रचना बोली. मैं मुफ्त की मिली चूत को मनमाने तरीके से चोदता रहा. रचना मना करती रही. मैं उसकी गोरी भरी जांघ को अंगूठे से काटता रहा. उसकी देसी रंडी की तरह चोदता रहा. रचना की चूत बहुत कसी थी. क्यूंकि फटी चूत में लौड़ा डालकर रगड़ो तो पता ही नही चलता है की चूत में डाल रहे है की कहाँ डाल रहे है. मैं अपनी कमर चला चलाकर रचना को खाने लगा. घप घप करके मैंने जो लौड़ा उसके भोसड़े में रगड़ा की रचना के मुँह से फेना निकल आया.
‘सर! धीरे धीरे चोदिये!! वरना कहीं मेरी चूत फट न जाए!’ रचना बोली
मैं कुछ नही बोला. घप घप करके उसको चोदता ही रहा. फिर मैं पसीना पसीना होकर रचना के भोसड़े में ही झड गया. दोस्तों, मेरी जिन्दगी की ये यादगार चुदाई थी. मैंने रचना की तरह देखा. उसे काफी दर्द हो रहा था. वो आँख बंद करके सोफे पर किसी लाश की तरह लेटी थी. मैं उसको किसी रंडी की तरह चोदा था. फिर मैंने हेड सर को फोन लगाया.
‘हेलो हाँ सर रविन्द बोल रहा हूँ. वो उत्तम नगर ब्रांच का लकड़ा प्रमोद अपनी बीबी को दे गया है. सर!! बहुत कड़क माल है. इसकी चूत चूत नही स्वर्ग का द्वार समझिये. अगर आप उसकी बीबी को चोदेंगे तो गारंटी है सर, आपको पूरा मजा मिलेगा!’ मैंने कहा.
‘ठीक है रविन्द. प्रमोद की बीबी की लेकर रात में बंगले पर आ जाओ!’ हेड सर बोले.
वो ही हमारी कम्पनी के करता धर्ता थे. क्यूंकि प्रमोद को नौकरी पर रखने और निकालने का अधिकार हेड सर के पास ही था. ‘रचना ! चल कपड़े पहन ले. आज रात तुझे हेड सर श्री बांके लाल से भी चुदना है!!’ मैंने कहा. उसकी चूत में अभी भी बहुत दर्द हो रहा था. धीरे धीरे उसने किसी तरह कपड़े पहने. शाम को मैं रचना को एक महंगे ब्यूटी पार्लर ले गया. उसकी मसाज करवा दी. फेसिअल भी करवा दिया. रचना अब पहले से कहीं जादा खूबसूरत लगने लगी. वो किसी नई दुल्हन की तरह लग रही थी. रचना ने पूरा मेक अप किया हुआ था. मैं उसको अपनी कार से हेड सर के बंगले पर ले गया था. सर ने दरवाजा खोला तो उनकी नजर नयी नई साड़ी पहने रचना पर गयी. सर देखते रह गये.
सर!! प्रमोद की बीबी आपकी सेवा में हाजिर है!! मैंने कहा.
श्री बांके लाल मुस्कुरा दिए. उनकी चुदासी नजरें रचना के भरे हुए जिस्म के एक एक हिस्से को स्कैन कर रही थी. मैंने सर की पैंट की तरह देखा. उनका लंड खड़ा हो चुका था.
‘आओ भाई आओ!! कबसे तुम लोगों का इंतजार कर रहा था’ सर बोले. मैं और रचना अंदर जाकर सोफे पर बैठ गये. अंग्रेजी शराब की कई महंगी बोतले टेबल पर रखी थी. सर ने मुझे आँखों से इशारा किया. ‘रचना !! सर के लिए जाम बनाओ!’ मैंने कहा. रचना झुककर शराब की बोतल उठाकर ग्लास में उड़ेलने लगी. रचना का सधा हुआ पिछवाड़ा दिखने लगा. सर खुदको रोक न सके. रचना के पिछवाड़े पर हाथ लगा दिया और सहलाने लगे. उन्होंने फिर रचना को आंख मारी और जाम पिलाने को कहा. रचना मजबूर थी. उसकी अपने पति की नौकरी बचाने थी. और हेड सर ही ऐसा कर सकते थे. रचना सर को अपने हाथों से जाम पिलाने लगी. सर ने एक ग्लास एक साँस में खत्म कर दिया. इस तरह एक के बाद एक सर ३ ग्लास शराब पी गये. उन्होंने रचना को अपनी जांघ पर बिठा लिया. पहले तो उन्होंने रचना के नगीने से सुंदर होंठ पिये. फिर उसका ब्लाउस खोल दिया.
चिकने, सुडोल, कसी छातियाँ सर के सामने थे. हेड सर ने शराब का एक ग्लास और भर लिया. रचना के मम्मे पर धीरे धीरे शराब गिराने लगे निचे मुँह लगाकर बहती शराब पीने लगा. ये सब देखकर मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो गया. मैंने भी रचना के मस्त मस्त मम्मो से होकर बहती शराब पी.
‘रविन्द!! आ ना..! मिल बाटकर खाते है इस कुतिया को!’ सर बोले. उन्होंने रचना को २ ग्लास शराब जबरदस्ती पिला दी. रचना को बहुत नशा चढ़ गया. सर ने उसे सर ने सारे कपड़े निकाल रचना की नंगा कर लिया. अपने लौड़े पर बिठा दिया. रचना बहुत नशे में थी. वो कुछ जान नही पा रही थी. ‘अबे रविन्द्र गांडू!! चल पीछे से खड़े होकर इस कुतिया के गांड में लौड़ा दे!! साथ साथ चोदेंगे इसे मिल बाटकर. माँ कसम!! बहुत मजा आएगा!’ सर बोले.
‘पर सर प्रमोद ने कहा है की इस रंडी की प्यार से चोदना!!’ मैंने कहा
‘हाँ हाँ हम इसको प्यार से ही चोदेंगे!!’ सर बोले. मैंने कपडे निकाल दिए. प्रमोद की बीबी रचना की गांड में लौड़ा दे दिया. उधर से उसके फटे हुए भोसड़े में सर ने अपना लंड डाल दिया था. फिर हम दोनों रचना को चोदने लगा. सर और मेरा दोनों का लंड १० १० इंच लम्बा था. रचना शराब के नशे में थी. वो जान पाई की उसके साथ क्या हो रहा है. वो नही जान पाई की एक ही समय में उसकी चूत और गांड दोनों चुद रही थी. कुछ देर बाद रचना को कम दर्द होने लगा. हम दोनों मस्ती से उसके दोनों छेद चोदने लगा. हमारे हेड श्री बांके लाल तो महान चुदक्कड़ आदमी निकले. इनती जोर जोर से रचना की चूत मारने लगे की मैं डर गया की कहीं चूत पूरी तरह फट न जाए. फिर उनकी देखा देखी मैं भी बड़ी जोर जोर से प्रमोद की औरत रचना की गांड चोदने लगा. हेड सर और मेरा , हम दोनों का लौड़ा रचना के इन दो छेदों में टकराने लगा.
लगा की हम रचना के छेद में लौड़े से युद्ध कर रहे हो. रचना शराब के नशे में थी वरना वो इस तरह न चुदवाती. ‘चोद चोद!! बाजारू रंडी की तरह इस छिनाल को चोद!! सर बोले. उसकी उत्तेजक आवाज सुनकर मेरा लौड़ा टनना गया. फिर २ घंटे तक हम दोनों से रचना को चोदा और झड गये. कहानी आपको कैसी लगी, आप अपनी कमेंट्स नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर जरुर बताइये.