दोस्तों, मैं सरीना आप सभी का नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर स्वागत करती हूँ. मैं सरीना पिछले कई सालों से अपने मैथ्स के कुलदीप सर से फसी हुई थी. मुझे आज भी वो दिन याद है जब मैं बी अस सी फर्स्ट इयर में गयी थी. कॉलेज में सर को मैंने पहली बार क्लास में ही देखा. कुलदीप सर बिलकुल सलमान खान थे. पेशे से तो टीचेर थे. पर क्या खूब बॉडी बना रखी थी. बस तभी से वो मुझे पसंद आने लगे. उन दिनों कितनी की लडकियाँ सर पर मरती थी. कोई उसने प्यार करना चाहती थी, कोई उसने चुदवाना चाहती थी. कोई उनके लौड़े को मुँह में लेकर चूसना चाहती थी. पर सब शर्मीली थी. कहीं कुलदीप सर को कोई लड़की पटा ना ले, इससे निटपने के लिए मैंने गहरे गले के ४ सूट सिलवाए और उनके सामने की सीट पर बैठने लगी.
धीरे धीरे सर जब भी क्लास में होते मेरी मस्त मस्त गोल गोल छातियाँ देखते रहते. मेरे सूट के गले से मेरे मम्मे साफ साफ़ झलकते. धीरे धीरे कुलदीप सर मेरी ओर आकर्षित हो गये. फिर मैंने बी अस सी के ट्यूशन लेने उनके घर पर जाने लगी. मैंने सर को आई लव यू भी बोल दिए. फिर दोस्तों क्लास खत्म होने के बाद सर ने मुझे रोक लिया.
‘सरीना! तुम पुरे समय मुझे ही क्यों देखा करती हो??” उन्होंने बड़े प्यार से पूछा
‘सर !! मैं आपसे बहुत बहुत प्यार करती हूँ. आप इतने हैंडसम और खूबसूरत है की मेरी नजरें आपसे हटती ही नही है’ मैं कहा
कुलदीप सर हँसने लगे. फिर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ के चूम लिया. मुझे गले लगाया लिया. ‘सरीना!! तुम भी बड़ी गजब की माल हो. आई लव यू’’ सर से बोला. उसके बाद दोस्तों, हम दोनों बड़ी देर गले लगे रहे. शुरू शुरू में सर मुझे हल्की हल्की चुम्मी मेरे गाल पर ले रहे थे, पर धीरे धीरे उनकी और मेरी झिझक खत्म हो गयी. सर मुझे अपने घर में अंदर ले गए. सीधे बेडरूम में ले गए. मैंने पीले रंग की सलवार और गुलाबी रंग का सूट और दुपट्टा पहना हुआ था. रोज रोज मैं सर को अपने मम्मे दिखाती थी और मन ही मन कहती थी की प्लीस मुझे चोद दो! प्लीस मुझे चोद दो. पर आज दोस्तों मेरी मुराद पूरी होने जा रही थी. सर ने मेरा दुपट्टा हाथ से खींच दिया और हटाकर किनारे रख दिया. मेरे सूट के गले से मेरी बेहद कीमती सम्पत्ति मेरे २ बेहद खूबसूरत मम्मे दिखने लगे. सर ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया.
मेरे गर्म तपते होंठो पर अपने होंठ रख दिए और जोर जोर से मुँह चलाकर पीने लगे. मैं तो कितने दिनों से कुलदीप सर को पसंद करती थी. कितने दिनों से सर को पसंद करती थी. अपनी जान उनपर छिड़कती थी. कितने दिनों से मैं उनसे चुदवाना चाहती थी. पर आज वो सपना हकीकत में बदलने जा रहा था. कुलदीप सर मेरे ओंठ पी रहे थे. मेरे सासों को अपनी सांसों में भर रहे थे. मैं उसने बहुत बहुत जादा प्यार करती थी. आज वो अपने कीमती होंठो से मेरे ओंठ पी रहे थे. मैंने सबकुछ उनके नाम कर दिया था. मैंने उनसे शादी करना चाहती थी. मैं उसने कसके चुदवाना चाहती थी. सर बहुत जोर जोर से मेरे ओंठ पी रहे थे. फिर उनके हाथ मेरे गेंद जैसे गोल गोल मम्मों पर जाने लगे. वो मेरे मम्मो पर सब जगह हाथ लगाने लगा. मुझे बहुत अच्छा लगने लगा. बड़ा आनंद मिलने लगा. फिर सर मेरे गुलाबी सूट के उपर से ही मेरे गोल गोल गेंद जैसे मम्मे दबाने लगे. धीरे धीरे उनका हाथ भारी और भारी होता गया. और फिर एक समय आया जब सब मुझे अपना पर्सनल माल समझ के बड़ी जोर जोर से मेरे कबूतर दबाने लगे.
‘सरीना!! यू आर सो ब्यूटीफुल! तुम्हारे जैसी गजब की लड़की मैंने आज तक नही देखी! तुम्हारे जैसी माल मैंने आज तक नही देखी. तुम्हारी चूत बड़ी गुलाबी और मस्त होगी’ कुलदीप सर बोले
‘चोद लीजिये सर आज मुझे. आप मुझे जी भरके चोद लीजिये. आज से मेरी चूत को अपनी चूत की समझिये’ मैंने कहा
उसके बाद सर खुलकर मेरी मेरे मम्मे जोर जोर से दबाने लगे. मेरे मम्मे किसी तराशे हुए नगीने से कम नही थे. बिलकुल ३६० डिग्री गोल थे, बेहद चिकने और रुई जैसे मुलायम थे. कुलदीप सर बहुत गर्म और चुदासे हो गए थे. उनसे रहा ना गया. वो सूट के उपर से नही बल्कि अंदर से मेरे मम्मे दबाना और पीना चाहते थे. इसलिए दोस्तों उन्होंने मेरा गुलाबी रंग का सूट निकाल दिया. मेरी ब्रा खोल दी. सर को जो माल चाहिए था वो उनके सामने थे. मेरे बला के खूबसूरत गुब्बारे उनके सामने थे. कुलदीप सर मेरी दूधभरी छातियों को देखकर बाँवरे हो गये. हाथ से जोर जोर से मेरी गेंदों को दबाने लगे. और फिर पीने लगे. आज मैंने बड़ी दिनों के बाद अपने दूध देखे. सच में बहुत खूबसूरत कबूतर थे मेरे. कुलदीप सर जोर जोर से मेरे दूध दबाने लगे. ‘सरीना इतने सुंदर मम्मे मैं आज तक नही देखे. मैंने अपने क्लास की कितनी ही लौडिया चोदी है, पर उन सबमे तुम सबसे जादा खूबसुरत हो’ सर बोले.
फिर वो चुप हो गये और मेरे दुध को मुँह में भरके पीने लगे. वो हपर हपर करके मेरे दूध पी रहे थे. हाथों से जोर जोर से दबा भी रहे थे. दोस्तों जहाँ सर को बड़ी मौज मिल रही थी, वही मुझे भी बड़ा आनंद मिल रहा था. मैं अपने टीचर से ही चुदने वाली थी. ‘पी लीजिये सर!! आप आज मेरा सारा दूध पी लीजिये!! आपके लिए सब छूट है’ मैंने कहा. सर हपर हपर करके आवाज करते हुए मेरे चुचियाँ पीने लगे. उनके सपर्श से मेरी काली काली बला की खूबसूरत निपल्स खड़ी होकर टनटना गयी. वही दोस्तों नीचे तो बुरा हाल था. मेरी चूत गीली होकर बहने लगी थी. मेरी चूत से मेरा चिकना चिकना चिपचिपा माल बहने लगा था. कुलदीप सर हपर हपर करके मेरी दोनों छातियों को अच्छे से पी रहे थे. अब तो बड़ी देर हो चुकी थी.
अपने मैथ्स के सर को अपनी छातियाँ पिलाने से मेरी गोल छातियाँ और भी जादा उभर आई थी और बड़ी हो गयी थी. मैं इस समय बहुत ही जादा गर्म और चुदासी हो गयी थी. ये बात सच है की मैं इस समय कसके चुदवाना चाहती थी. सर के दांत मेरी मुलायम चूचियों और उनके कड़े कड़े निपल्स पर गड रहे थे. मैं उसने धीरे धीरे पीने को कह रही थी. पर वो नही मान रहे थे. जोर जोर से मेरे आम पी भी रहे थे और दबा भी रहे थे. ‘सर अब मुझे चोदिये! क्या सारा दिन दूध ही पियेंगे???’ मैंने कहा. पर सर तो अभी भी मेरी छातियों के दीवाने थे. मेरी छातियाँ छोड़ने का नाम ही नही ले रहे थे. फिर बड़ी मुस्किल से उन्होंने मेरे मम्मे छोड़े. पता नही उसको कौन सी सनक लगी. अपने चाक़ू जैसे तेज दांतों से मेरे पेट, नाभि, मेरे चिकने गठीले कंधे जोर जोर से काटने लगे. मुझे बहुत आनन्द आने लगा. वो मुझसे छेड़खानी करने लगे. फिर सर मेरे पेडू पर आ गए और पेडू को काटने लगे. फिर कुलदीप सर ने मेरी सलवार और पैंटी निकाल दी.
मैं बिलकुल नंगी हो गयी. उनके सामने किसी किताब के पन्ने की तरह खुल गयी. सर ने मुझे पलट दिया. मेरे गोल गोल पुट्ठों को अपने हाथ से सहलाने लगे. फिर मेरे सफ़ेद पुट्ठों को अपने तेज धार दांतों से किसी चूहे की तरह कुतरने लगे. मुझे बड़े अजीब तरह का सुख मिलने लगा. सर जोर जोर से मेरे नितम्बों को चबाने लगे. बड़ा सुख मिलने लगा. फिर कुलदीप सर ने मेरी लम्बी चिकनी पीठ पर बड़े प्यार से हाथ सहला दिया. पीठ पर जगह जगह चूमने लगे, बड़े प्यार से चुम्मी देने लगे. फिर अचानक सर ने वही करना शुरू कर दिया जिसकी उनको सनक लगी थी. अपने चूहे जैसे तेज दांतों से मेरी चिकनी चिकनी मक्कन सी मुलायम पीठ कुतरने लगे. दोस्तों एक बार फिर से मुझे बड़ी अजीब और विचित्र प्रकार का सुख मिलने लगा.
कुलदीप सर कभी मेरे कंधे कुतरते कभी मेरे नितम्ब. इतना ही नही दोनों पुट्ठों के बीच का भाग भी वो कुतरने लगे. मैं सुख सागर में डूब गयी. फिर सर ने मुझे पलट दिया. जीभ से मेरी गोल गहरी सेक्सी चुदासी नाभि पीने लगे. फिर वो मेरी चूत पर आ आ गए.
अरे अरे ये तो देखो सरीना!! तुम्हारी चूत तो किसी दूध के बर्तन की तरह बह रही है’ सर बोले. उन्होंने तुरंत अपने मोबाइल से मेरी चूत की फोटो खींची और मुझे दिखाई. सच में दोस्तों, मेरी चूत कीसी दूध के बर्तन की तरह बह रही थी. सर ने अपना मुँह मेरे लाल भोसड़े पर रख दिया और पीने लगे. मेरी चूत से निकला सारा माल, सारा मक्कन वो मजे ले लेकर पीने लगे. एक भी बूंद उन्होंने बेकार नही होने दी. लपर लपर ओंठ चलाकर मेरी चूत पीने लगे. मैं अभी तक एक भी बार नही चुदी थी. सर मजे से मेहनत करके मेरी चूत पी रहें थे. फिर उन्होंने खुद को निर्वस्त्र कर दिया. मेरी चूत पर अपना मोटा लम्बा और बेहद खूबसूरत लौड़ा रख दिया और जोर का धक्का मारा. मेरी चूत की सील टूट गयी. कुलदीप सर मुझे चोदने लगे. ये पल मेरे जीवन का ख़ास लम्हा था. क्यूंकि जिस तरह मैंने सर को देखा था उसी दिन ये तय कर लिया था की एक न एक दिन इनका लौड़ा जरुर खाऊँगी. ये बात मैंने सोच ली थी दोस्तों.
और आज वो दिन आ गया था जब मैं अपने सबसे अच्छे टीचर कुलदीप सर का लौड़ा खा रही थी. सर मुझे खटर खटर करके चोदने लगे तो मेरी आँखें खुलने और बंद होने लगी. कभी चुदवाते चुदवाते मेरी आँखें खुल जाती कभी बंद हो जाती. मैंने अपनी दोनों टाँगे हवा में उपर उठा ली और मजे से चुदवाने लगी.सर हुमक हुमक के मुझे ठासने लगे. ‘सर चोदिये सर!! आपको अपनी माँ की कसम कर! अगर आप मुझे अच्छे से चोद नही पाए तो आपकी पुरे कॉलेज में कितनी बदनामी होगी, इसलिए सर जोर जोर से हुमक हुमक कर मुझे चोदिये!! मेरी चूत में लौड़ा ठोक ठोककर मुझे चोदिये!!……अगर आप एक ही बाप से पैदा है तो सर मुझे किसी रंडी की तरह चोदिये!!!’
इस तरह सर को थोडा गुस्सा आ गया. मुझे किसी आवारा छिनाल की तरह ठासने लगे. ‘ले रंडी!! आज मन भरके अपने गुरूजी का लौड़ा खा ले! जब तक जिन्दा है किसी रंडी की तरह चुद्वाले!…वरना मरने के बाद पता नही तुझे चुदवाने का मौका मिले भी या ना मिले’’ ऐसा बोलकर सर जोर जोर से मुझे कमर उठा उठाकर चोदने खाने लगे. उनके शानदार, जोरदार और जानदार धक्कों से मेरी चूत पानी पानी हो गयी. मेरी चूत की दीवारों से, उसके गोल गोल छल्ले से गर्म, गाढ़ा , चिपचिपा माल बहने लगा जिसने कुलदीप सर के लौड़े को खूब चिकना कर दिया. इससे सर का लौड़ा शानदार तरह से सट सट मेरी चूत के लम्बे छेद में सरकने लगा. सर मुझे किसी रंडी की तरह गचागच चोदने लगे. फिर उन्होंने मुझे बाहों, और हाथ पैरों से कसके पकड़ लिया और अपने में जकड़ लिया. और इतने ताबडतोड़ धक्के मारने लगे की मेरी तो माँ चुद गयी, मेरी माँ बहन एक हो गयी. सर फटा फट जोर जोर से धक्के मारते रहे फिर १० मिनट बाद मेरी चूत में ही झड गए.
जब उन्होंने अपना बेहद खूबसूरत लौड़ा निकाला तो तब भी उसमे से माल की पिचकारी छूट रही थी. मैंने जल्दी से कुलदीप सर के लौड़े को मुँह में ले लिया और मजे से उनका लौड़ा पीने लगी. ये लम्हा मेरी जिन्दगी का सबसे खूबसूरत लम्हा था. फिर सर मुझसे लिपट गये. मुझे बाहों में भर लिया और चुम्मी चाटी करने लगे. ‘सरीना!! मैंने अभी तक अपनी कई स्टूडेंट्स को चोदा खाया है. पर तुम्हारे जैसी नाजनीन मैंने आज तक नही देखी. मैं अब तुमको रोक चोदूंगा, रोज तुम्हारी चूत में लौड़ा दूंगा’’ सर बोले.
‘सर!!! मैं भी आपको बहुत पसंद करती हूँ!!….इसलिए मैं अब रोज आपसे ट्यूशन पढ़ने आऊँगी और रोज आपको चूत दूंगी!’ मैंने कहा. कुलदीप सर एक बार फिर से मेरे नर्म मासूम गुलाबी ओंठ पीने लगे. कुछ देर बाद हमदोनो का फिर से मौसम बन चुका था.
‘सरीना!! मेरी जान, तूने मेरा लौड़ा तो चूसा ही नही!’ सर बोले
‘लाइए अपना लौड़ा, चूस देती हूँ!’ मैंने कहा.
कुलदीप सर पीठ के बल सीधा बिस्तर पर लेट गये. मुझे एक बार चोदने के बाद उनका लौड़ा मुरझा गया था. मैंने उनकी गोरी गोरी जांघो से शुरुवात की. हाथ से उनके घुटने, जाघे सहलाने लगी. फिर उनकी काली काली गोलियों को अपनी पलती पलती उगलियों से चुने लगी. एक जवान चुदासी लड़की के स्पर्श से कुलदीप सर की गोलियां फिरसे फूलने लगी. मैं उनकी गोलियां सहला रही थी. मेरे मस्त मस्त सफ़ेद आम सर के पैरों पर छू रहे थे. फिर दोस्तों मैंने कुलदीप सर के मोटे सांड जैसे लौड़े को हाथ में ले लिया और फेटने लगी. सर की गोलियां छोटी होती, फिर बड़ी होती, फिर धीरे धीरे फूलने लगी. कुछ अन्तराल बाद मैंने सर के लौड़े को अपने मुँह में भर लिया. मेरे ओंठ बहुत ही खूबसूरत थे. ओंठों पर मैंने चटक लाल रंग की लिपस्टिक लगाईं थी जो सर के लौड़े पर लगने लगी क्यूंकि इस वक़्त मैं उनका लौड़ा मुँह में भरके चूस रही थी. फिर मैं जोर जोर से सर हिला हिलाकर सर का लौड़ा पीने लगे. उनका सुपाडा बहुत ही खूबसूरत था. बिलकुल लाल लाल था. मैं किसी देसी रंडी की तरह सर का लौड़ा चूसने लगी. कुछ देर बाद मेरी मेहनत रंग लाई. सर का लौड़ा फिर से खड़ा हो गया. मैं और लगन और मेहनत से कुलदीप सर का लौड़ा चूसने लगी.
उनका लौड़ा बड़ा ही मीठा. बड़ा ही स्वादिस्ट था. मैं मजे से हपर हपर करके उनका लौड़ा पी रही थी. कुछ देर बाद यौन उतेज्जना और चुदासेपन से सर का लौड़ा बिलकुल पत्थर जैसा सख्त हो गया. सर ने मुझे अपने लौड़े पर बिठा दिया और एक बार फिर से मेरी चूत में लौड़ा घुसाकर मुझे चोदने लगे. मैं अपने प्यारे कुलदीप सर के मोटे मजबूत लौड़े पर डिस्को डांस करने लगी. सर के मुकाबले मैं बड़ी हल्की फुलकी थी. सर जैसा मन करता था, वैसा मुझे खा रहे थे. मनमर्जी से सर मुझे अपने मोटे लौड़े पर उठाने बैठाने लगे. एक बार फिर से मैं सर से चुदवाने लगी. मेरी लाल लाल चूत में सर मीठे मीठे धक्के मारने लगे. मेरी मुलायम बेशकीमती छातियाँ हवा में उछलने लगी. क्यूंकि मैं बहुत जोर जोर से सर के लौड़े पर थिरक रही थी.
कुलदीप सर अपने बलिष्ठ हाथों से मेरी मुलायम छातियाँ सहलाने लगे, छूने लगे और फिर दबाने लगे. फिर वो मुझे जोर जोर से चोदने लगा. उसके बाद दोस्तों मेरा जबतक ऍम अस सी नही हो गया सर रोज मेरी चूत मारते रहे. फिर उनको मेरी चूत की इतनी तलब लग गयी थी की वो मेरे बिन एक सेकंड भी नही रह पाते थे. फिर उन्होंने मुझसे शादी कर ली. ये कहानी आप नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है.
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