मेरा नाम कल्याणी है, मैं दो बच्चों की माँ हु, दिल्ली में रहती थी, ये कहानी आज से चार साल पहले की है. मैं उस समय 29 साल की थी. मेरे हस्बैंड एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे और मैं घर और बच्चों का देखभाल करती थी. मैं किराए के मकान में रहती थी. मेरे पति उत्तर प्रदेश कानपूर के रहने बाले है और मैं दिल्ली में ही रही हु, मेरे पापा का सरकारी नौकरी था.
ये कहानी कोई मनगढंत नहीं है. मैं अपने दिल की बात आज मैं आपको बता रही हु, क्यों की कभी कभी दिल की भी सुननी जरूरी होती है, हां मैं डंके की चोट पे कह रही हु, की मैंने कई सारे गैर मर्दो से रिश्ता बनाया, मुझे सेक्स का स्वाद लग गया था, गैर मर्दो से. मुझे वो ख़ुशी नहीं मिली जो मुझे चाहिए थी. आज मैं आपको अपनी बात परत दर परत बताउंगी, की कैसे मैंने ये कदम रख, दोस्तों आपको लगता होगा की मैं बदचलन हु, मुझे दूसरे मर्दों से सेक्स का रिश्ता कायम नहीं करनी चाहिए, मुझे भी यही लगता था, पर क्या करती इस धरती पर क्या मेरा ये जन्म बेकार जायेगा, क्या मेरे नसीब में वही है जो मुझे नहीं चाहिए, क्या मुझे जो चाहिए उसका मैं नाम भी ना लु, और अपने मन को मार कर ज़िंदगी काट दू, हां मेरे जो दोनों बच्चे है वो मेरे पति से है. पर मैं उनसे उतना ही सेक्स की जिससे बच्चा पैदा हो गया, पर कभी भी मुझे वो शारीरिक सुख नहीं मिला. मैं हमेशा तरसती रही.
पति जब मुझे सेक्स करता था, मैं वाइल्ड हो जाती थी, मुझे लगता था की मेरे पति मुझे अपनी आगोश में भर ले, मेरी चूचियों को दबाते रहे मेरे होठ को चूस ले, मेरे चूत की रस को चाट ले, मुझे वो करे जो मुझे पसंद हो और मेरे शारीर का रोम रोम सिहर जाये, मेरे मुंह से आह निकल जाये, क्यों की मेरी जवानी बड़ी ही मदहोश करने बाली थी, मेरे शारीर का बनावट एक परफेक्ट सेक्सी औरत का था, मेरी बड़ी बड़ी सुर सुडौल चूचियाँ मेरे ब्लाउज को फाड़ने के लिए आतुर रहती थी. जब मैं चलती थी तो मेरे नितम्भ जब हिलता था तो लोगो की आँख फटी की फटी रह जाती थी. मेरे नैन नक्स बहुत ही कातिल था. पर पति साला चिलजोकड टाइप का था. उसको जब मैं अपने बाहों में समेटती और अपने आगोश में लेती तो कहता कल्याणी मैं ले रहा हु, ना धीरे धीरे. मुझे बहुत तेज का गुस्सा आता था उस समय, आप ही बताओ मेरे नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम के दोस्तों, जब मैं सेक्स की दरया में बह रही होती थी उस समय मुझे कोई किनारे लगाने की कोशिश करता हो तो कैसा लगेगा. मुझे लगता था मेरा पति अपना लंड मेरे चूत में पेलता रहे जोर जोर से धक्के लगाए, ताकि मेरी चूचियाँ फुटबॉल की तरह हिले और मेरे मुंह से सिर्फ हाय हाय हाय निकले हरेक झटके पर, पर वो मुझे धीरे धीरे हैंड पम्प आपने देखा होगा पानी निकलने बाला वैसा ही वो मुझे धीरे धीरे चोदता था.
फिर मैंने इंटरनेट पे सेक्सी क्लिप देखना शुरू किया, क्या चुदाई होती थी, मुझे तो बस ऐसी ही चुदाई का इंतज़ार था. मुझे लगता था काश मुझे ऐसा ही मस्ती कोई दे दे, आपको तो पता है मेरा पति मुझे वो सुख नहीं दे सकता था. मैंने अपना नजर इधर उधर मारना सुरु किया, मेरे फर्स्ट फ्लोर पे एक कपल रहता था. वो हरयाणा का रहने बाला था जिम में ट्रेनर था, उसका नाम था, राज, राज बहुत ही हठा कठ्ठा, लंबा चौड़ा, उसने शादी भाग कर की थी और वो अपने वाइफ के साथ रहता था. मेरे पति को वो भैया कहता था और मुझे भाभी धीरे धीरे मेरे घर से और उसके घर से काफी अच्छा रिश्ता बन गया, वो दोनों भी मेरे परिवार को बहुत इज्जत करते थे और हमलोग भी उन लोगों को बहुत प्यार देते थे. ठण्ड में मैं पति पत्नी और वो दोनों पति पत्नी एक ही रजाई में बेड पे बैठ कर देर रात तक मूंगफली खाया करते थे.
बात यही से स्टार्ट हुई, वो अंदर रजाई में मेरे पैर को सामने से सहलाता और मैं भी उसके पैर को सहलाती. कुछ ही दिनों में उसकी बीवी मायके चली गई क्यों की वो प्रेग्नेंट थी. और मेरा पति भी अहमदाबाद चला गया क्यों की कंपनी ने वह एक ब्रांच खोला तो उनको वह भेज दिया. मैं दो बच्चों के साथ यहाँ रहने लगी कुछ दिनों तक, क्यों की बिच में जा नहीं सकती बच्चों का स्कूल था. मैंने राज से कहा राज तुम रात का कहना यही खा लिया करो. अकेले कैसे बनाओगे, तुम्हारे भइया भी यहाँ नहीं है. मुझे कोई दिक्कत नहीं है. तो राज बोल भाभी बीवी नहीं है तो कहना तो बना दोगे, इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद, पर बीवी का रहने का मजा ही अलग है. तो मैंने कहा तुम पहले या बताओ की भाभी में वो क्या नहीं है जो तेरे बीवी में है. मैं भी तुम्हे शायद उससे जयादा मजा दूंगी, दोस्तों आपको तो पता है मुझे ऐसे ही इंसान की जरूरत थी मेरी वासना की आग को बुझाने के लिए, और मर्द तो मर्द होता है. कौन ऐसा मर्द होगा जिसको एक औरत लाइन दे रही है और वो इग्नोर करेगा, मर्द तो कुत्ता की तरह होता है ब्रा खोलो टूट पड़ेगा. चूत दिखा दो दीवाना हो जाएगा. में उसको लाइन दिया और वो मेरे लाइन में आ गया. तो राज ने कहा क्यों भाभी मेरा बर्दास्त होता, मैं तो जाट मुंडा हु, मैं भी अपना टाइम खराब नहीं करते हुए कह दिया. की मुझे भी ऐसे ही जाट मुंडे की जरूरत है. तुम मुझे कम नहीं समझो मैं चीज ही ऐसी हु की तुम भी हांफने लगोगे. फिर मैंने कहा ठीक है. चल आज देख ही लेते है, राज बोल पक्का? मैंने कहा पक्का.
मेरे पापा मम्मी मेरे घर से करीब १ किलोमीटर की दूरी पर ही रहते है. तो में फ़ोन किया की बच्चे आज आपके साथ ही रहना चाहते है. तो मम्मी पापा बोले तो तुम भी आ जाओ, मैंने कहा नहीं नहीं मम्मी आज मुझे मत बुलाओ, आज रात को पापा जी का स्वेटर पूरा करना है. और गला मुझसे बन नहीं रहता है. तो पड़ोस में ऋषभ की मम्मी बोली की आज रात को कम्पलीट करवा दूंगी क्यों की ऋषभ के पापा आज बाहर गए है. तो प्लीज दोनों बच्चों को ही भेज देती हु. वो दोनों मान गए और शाम को वो दोनों बच्चों को ले गए. राज करीब नौ बजे आया. वो दारु पि कर आया था. और आधा बोतल लेके भी आया था उसपर से चिकन फ्राई भी लेते आया. मैं दो चार बार पि हु, मुझे पता है दारु का नशा, शाम को फिर कहना बनने की जऊरत नहीं पड़ी. राज ही लेके आ गया था, उस मकान में बस दो ही फ्लोर था ग्राउंड पे मैं थी ऊपर वो था. अब दोनों अकेले अकेले ही थे. रात को वो वो आया और मुझे अपनी बाहों में भर लिया, मैं उसके डिओड्रेंट से मदहोश हो गई और उसका ऊपर से कपडे उतार दी, और उसके छाती के बाल को सहलाते हुए, उसके आर्मपिट को सूंघने लगी. गजब का एहसास था आज मुझे मर्द मिला था, क्या गठीला शारीर, मैं अपना होठ हवश खो बैठी और चिापक गई उसमे,
उसने मुझे जोर से पकड़ा और किश किया, मेरे होठ को चूसने लगा ऐसा लग रहा था वो आज होठ का रस निकाल देगा, फिर वो मेरे ऊपर से सारा कपडा उतार दिया और ब्रा का हुक खोल दिया. ब्रा का हुक खोलते ही मेरी दोनों चूचियाँ बाहर निकल गई जैसे की दो पागल घोडा अस्तबल से बाहर आ गया हो. फिर वो अपनी मजबूत हाथ से मेरी चूचियों को मसलने लगा. मुझे पलंग पर पटक दिया और मेरी सलवार और पेंटी खोल दिया, और मेरी चूत को चाटने लगा. बस दोस्तों मुझे ऐसे ही मर्द की जरूरत थी. मेरा रोम रोम खिल रहा था वो मुझे उल्टा लिटा दिया और मेरे गांड के छेद को अपनी जीभ से चाटने लगा. अब आप समझ सकते हो दोस्तों राज कितना कमीना और सेक्सी था, वो मुझे उल्टा पलटा का खूब चाटा, जब मैं पानी पानी हो गए वो मेरे चूत के बिच में अपना मोटा काला लंड लगाया और जोर से घुस दिया. मस्त लगा मुझे लंड मेरे पेट के बिच में पहुंच गया ऐसा मुझे लगा रहा था. पहले तो थोड़ा दर्द हुआ पर उसका हरेक झटके ने मेरे रोम रोम को जगा दिया, मेरी चूचियों को मसल रहा था. और फिर मैं भी वाइल्ड हो गई. वो मुझे चोद रहा था और मैं भी चुदवा रही थी. खूब चोदा मुझे, करीब एक घंटे तक चोदा, फिर दोनों का झड़ गया, और फिर दोनों एक दूसरे को पकड़ कर लेटे रहे.
करीब ३० मिनट बाद उठे और फिर कहना खाये और दारु पिए दोनों मिलकर, रात के करीब बारह बज गए थे. दोनों फिर बथूरम में नंगे नहाए, राज ने मेरे पुरे शारीर पर साबुन लगाया, और मेरे अंग अंग को छुआ, दोस्तों उस रात को करीब चार बार चोदा मुझे, अब तो तिन महीने तक वो मुझे खूब चोदा था जब तक की उसकी पत्नी नहीं आई थी. मैं दोनों बच्चों को सुला देती और उसी के कमरे में चुदवाने चली जाती. फिर कुछ दिन बाद ही वो घर चेंज कर के पंजाब चला गया. उससे सारा रिश्ता खत्म हो गया. फिर वह दो लड़के किराए दार आये जो पढ़ते थे. मैं दोनों से सेक्स सम्बन्ध बनाया, पर सबने मुझे बहुत खुश किया आज तक मुझे सिर्फ मेरा पति खुश नहीं किया. पर मैं खुश हु, मुझे अलग अलग लंड से चुदवाने का मौका मिला,
धन्यवाद.
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